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समाज में न्याय

समाज में न्याय

कुर्आन की आयतों नें पैग़मबरों और आसमानी किताबों के भेजने का उद्देश्य यह बताया है कि समाज में न्याय हो और हिंसा का अंत हो और ईश्वर यह चाहत है की लोगों के बीच न्याय स्थापित हो और यह काम सारे इंसान स्वय करें ना की ख़ुदा का राज्य करे।

लोगों के बीच न्याय स्थापित करना और न्याय को प्रचलित करना यह महान नबियों और पैग़मबरों की इच्छा थी और यह उनका कर्तव्य था कि वह लोगों के बीच न्याय को स्थापित करें और इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ का राज्य इस काम को कर दिखाएग। उनका राज्य पूरी दुनिया पर और दुनिया के सारे इंसानो पर होगा।

ख़ुदा के सारे नबियों, पैग़मबरों, और रसूलों ने न्याय को स्थापित करने केलिए और हिंसा को ख़त्म करने के लिए जो कष्ट सहन किये हैं उन सबका फल इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ का राज्य है। उस वक्त ज़ुल्म करने वालों के जीवन का अंत हो जाएगा और उस की फ़ाइल हमेशा-हमेशा के लिए बन्द हो जाएगी। और उस शुभ दिन को ज़ुल्म और कुफ़्र के झंडे हमेशा हमेशा के लिए गिर जाएंगें और उस ज़माने में (यानी इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ का जब राज्य होगा )दुनिया के तमाम मज़लूम और पीड़ित लोग ज़ालिमों के ज़ुल्म से मुक्ति पा जाएगें। और उस के बाद तमाम इंसानों की ज़िंदगी बदल जाएगी और सारे इंसानों को एक नया जीवन मिलेगा।

इस तरह ख़ुदा के पैग़मबरों और नबियों की इच्छा पूरी हो जाएगी और सदियाँ बीत जाने के बाद पूरी दुनिया में न्याय का राज होगा। इसी लिए इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ सारी उम्मतों केलिए मोऊद हैं। इसी लिए हम इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ कि ज़ियारत में पढ़ते हैः

........السلام علی المھدیّ الذی وعد اللہ عزّوجلّ بہ الامم

इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ पर सलाम हो कि ईश्वर ने सारी उम्मतों को जिन के ज़हूर व राज्य का वचन दिया हैं।(2)

 


(2) सहीफए मेहदीयाः 636

 

 

 

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