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पशु आज्ञाकारी होंगे

पशु आज्ञाकारी होंगे

अब हम यहाँ कुछ रेवायात बयान करेंगे जिन पर ध्यान देना आवश्यक हैः

रसूले ख़ुदा हज़रत मोहम्मद मुसतफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम ने इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ के सांसारिक न्यायिक राज्य की बशारत दी है और ज़हूर के ज़माने की और उनके राज्य की विशेष्ता को बयान किया है और उस ज़माने के इंसानों यहाँ तक कि पशुओं में भी होने वाले महत्तवपूर्ण परिवर्तन के बारे में बताया है।

रसूले ख़ुदा हज़रत मोहम्मद मुसतफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम ने अपने एक ख़ुत्बे (प्रवचन) में यूँ फरमाया हैः

و تنزع حمۃ کل دابۃ حتی یدخل الولید یدہ فی فم الحنش فلا یضرہ،وتلقی الولیدۃ الاسد فلا یضرھا،و یکون فی الابل کانہ کلبھا، و یکون الذئب فی الغنم کانہ کلبھا، و تملأ الارض من الاسلام، ویسلب الکفار ملکھم ، ولا یکون الملک الا اللہ وللاسلام ، و تکون الارض کفاثور الفضۃ تنبت نباتھا کما کانت علی عھد آدم، یجتمع النفر علی القثاء فتشبعھم ، و یجتمع النفر علی الرمانۃ فتشبعھم و یکون الفرس بدریھمات

हर पशु से क्षति छीन ली जाएगी, यहाँ तक कि अगर छोटा सा बच्चा अपना हाथ साँप के मुँह में ड़ाल देगा तो साँप उसे कोई क्षति नहीं पहुँचाएगा। अगर बच्चा शेर के सामने हो तो भी शेर उस को कोई क्षति नही पहुँचाएगा, ऊँट के बीच में शेर ऐसे होगा जैसे उन का कुत्ता हो, भेड़ों के बीच भेड़िया भी उन के कुत्ते की तरह हागा, पूरी धरती पर इस्लाम का बोल बाला होगा, काफ़िरों से उनका माल व दौलत ले लिया जाएगा, सिर्फ़ और सिर्फ़ ईश्वर का राज्य होगा, धरती चाँदी के दस्तरख़वान की तरह होगी, जो अपनी हरयालियों को उसी तरह उगाएगी जिस तरह वह आदम के ज़माने में उगाती थी।(13)

कुछ लोग मिलकर एक खीरा खाएंगे तो सबका पेट भर जाएगा, अगर कुछ लोग मिल कर एक अनार खाएंगे तो उन का भी पेट भर जाएगा, एक घोड़े का मूल्य कुछ रुपया होगा।

इस रेवायत में ज़हूर के समय होने वाले कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन के बारे में बताया गया हैः

1.हर पशु से क्षति छीन ली जाएगी ।

2.शेर और भेड़िये जैसे दरिन्दे भी पालतू पशुओं की तरह हो जाएंगे और ऊँट और भेड़ों के साथ जीवन बिताएँगे।

3.जो काफ़िर अपने कुफ्र पर बाक़ी रहेगा उससे उनका तमाम माल व दौलत ले लिया जाएगा।

4.उस समय पूरी धरती पर सिर्फ़ इस्लाम का राज्य होगा ।

5.सिर्फ़ और सिर्फ़ ईश्वर का राज्य होगा ।

6.ज़हूर के ज़माने में (अनुकम्पा) ख़ैर व बरकत इतनी ज़्यादा हो जाएगी कि आज की तुलना में उस समय फल बहुत ज़्यादा होंगे, और एक अनार और खीरे जैसे फल को भी कई लोग मिल कर खाएँगे तो सबका पेट भर जाएगा।

7.वस्तुएँ बहुत सस्ती और कम मूल्य की हो जाएँगी उदाहरणतः एक घोड़ा कुछ रूपयों का मिलेगा।

अतः इस्लामी राज्य में हर वस्तु सस्ती हो जाएगी, खेती-बाड़ी बहुत ज़्यादा होगी, हर भाग मे प्रगति होगी, पशु आज्ञाकारी होंगे, यह सब उस समय के महत्वपूर्ण परिवर्तन में से हैं।

यह ज़हूर के ज़माने की विशेष्ता हैं जिनको रसूले ख़ुदा हज़रत मोहम्मद मुसतफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम ने लोगों को बताया था।

पशुओं का आज्ञाकारी होना, और दरिन्दों में शांति व उन से बेफ़िक्री उस ज़माने की अनुकम्पा में से हैं।

उस ज़माने में पशुओं में परिवर्तन, इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ के राज्य में शांति की दलील है और उस ज़माने में लोगों पर अनुकम्पा होगी इसी तरह हर वस्तु में परिवर्तन होगा।

क्योंकि जैसा कि हम जानते हैं कि इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ का ज़हूर सिर्फ़ उन के जिस्म का ज़हूर नहीं हैं बल्कि इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ के ज़हूर का मक़सद संसार में वेलायत से लाभ उठाना है, और पूरे संसार में सब लोग आश्चर्यजनक परिवर्तन के गवाह होंगे।

हज़रत इमाम-ए-जाफ़रे सादिक़ अलैहिस्सलाम फरमाते हैं:

ینتج اللہ تعالیٰ فی ھذہ الامۃ رجلا منی و انا منہ یسوق اللہ تعالیٰ بہ برکات السمٰوات والارض،فینزل السماء قطرھا و یخرج الارض بذرھا و تامن وحوشھا وسباعھا،ویملأ الارض قسطاً و عدلاً کمال ملئت ظلماً و جوراً،ویقتل حتیٰ یقول الجاھل لو کان ھذا من ذریۃ محمد لرحم

ख़ुदा इस दुनिया में से एक व्यक्ति को भेजेगा जो मुझसे होगा और मैं उससे हूँगा, ख़ुदा उस के माध्यम से धरती और आसमान की ख़ौर व बरकात (अनुकम्पा) को लोगों के लिए नाज़िल करेगा ।(14)

आसमान से वर्षा होगी, और धरती से हरियाली उगेगी, दरिन्दे शांति से रहेंगे, और इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ धरती को अदल व न्याय से भर देंगे जिस तरह वह उत्पीड़न से भरी हुई होगी, वह अहलेबैत के दुश्मनों को क़त्ल करेंगे, यहाँ तक कि जाहिल यह बात कहेंगे कि अगर यह मोहम्मद की संतान से होता तो ऐसा ना करता।

यह रेवायत कि जो हम ने बयान की है इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ के बारे में है जिस को हज़रत इमाम-ए-जाफ़रे सादिक़ अलेहिस्सलाम ने फ़रमाया है। इस रेवायत में इमाम ने फ़रमाया है:

رجلاًمنی وانا منہ

ऐसा मर्द की जो मुझसे और मैं उस से हूँ:

यह एक ऐसी ताबीर है जो हज़रत इमाम-ए-जाफ़रे सादिक़ अलैहिस्सलाम ने इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ की तारीफ़ में बयान किया है यह वही ताबीर है जो हज़रत मोहम्मद मुसतफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम ने हज़रत इमाम-ए-हसन और हज़रत इमाम-ए-हुसैन अलैहेमस्सलाम के बारे में कही थी।

इस रेवायत में कुछ चीज़े बयान हुई हैं:

1.धरती और आसमान से अनुकम्पा।

2.रहमत को नोज़ूल (आगमन)

3.खेती-बाड़ी का ज़्यादा होना।

4.पशुओं में शांति।

5.संसार में न्याय ही न्याय

रेवायत के अंतिम भाग में हज़रत इमाम-ए-जाफ़रे सादिक़ अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया:

ویقتل حتی یقول الجاھل لو کان ھذا من ذریۃ محمدلرحم

यह उस बात की दलील है कि दुश्मनों में आपत्ति जताने वाले मौजूद होंगे, क्योंकि वह कहेंगे कि अगर वह मोहम्मद (मुसतफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम) की संतान होते तो अवश्य ही दया करते क्योंकि दुश्मनों को इस बात का विश्वास होगा कि मोहम्मद बहुत ही दयालु थे। मगर इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ की इमामत को स्वीकार नहीं करेंगे। इसीलिए वह इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ पर ऐतराज़ करेंगे।

अब अस्ल बात को बयान करते हैं किःयानी पशुओं को आज्ञाकारी होना कि जिस के बारे में ख़ानदाने इस्मत व तहारत ने फ़रमाया है।

रेवायात की आधार पर पशुओं में ऐसा परिवर्तन आएगा कि वह सब जानवर जो मासाहारी हैं वह शाकाहारी हो जाएँगे।

इस बात से मालूम होता है कि जानवरों से दरिन्दगी छीन ली जाएगी और वह माँस छोड़ कर घास खा कर अपना जीवन बिताएँगे।

हज़रत इमाम-ए-हसन अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं:

تصطلح فی ملکہ السباع

इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ  के राज्य में दरिन्दे एक दूसरे के साथ शांति से अपना जीवन बिताएँगे।(15)

हज़रत अली अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं:

اصطلحت السباع والبھائم

दरिन्दे और पशु सब के सब शांति से रहेंगे।(16)

मगर यह चीज़ें ऐसे लोगों को दिखाई नहीं देगी जिनके दिलों पर मोहर लगी है (जिनसे इस्लाह की तैफ़ीक़ छीन ली गयी है।), और वह दुनिया के अलावा कुछ और नहीं देखते हैं। मगर आने वाली दुनिया और उसके हालात के बारे में जिन लोगों ने सोच-विचार किया है वही इस सत्य को देख सकते है, क्योंकि वह जानते हैं कि धरती पर होने वाले परिवर्तन धरती पर अच्छे लक्षण छोडेंगे। और तमाम लोगों को प्रगति की तरफ़ ले जाएँगे।

इस सत्य को जान लेने के बाद इस बात को बयान करने में कोई हर्ज नही है कि इंसान पक्के इरादे से जानवरों को भी अपना आज्ञाकारी बना सकता है।

 


(13) अत्तशरीफ़ बिलमननः 299

(14) अलग़ैबाः शैख़ तूसी रहमतुल्लाह अलैहः 115

(15) बेहारुल अनवारः 52/280

(16) बेहारुल अनवारः 52/316

 

 

 

 

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