हमारा लोगो अपनी वेबसाइट या वेबलॉग में रखने के लिए निम्न लिखित कोड कापी करें और अपनी वेबसाइट या वेबलॉग में रखें
इल्म की हद

इल्म की हद

लोगों का इल्म के प्रति निराशा का दूसरा करण इल्म का सीमित होना है।

ख़ुदा वन्दे आलम कुर्आन में इरशाद फ़रमाता हैः

و ما أوتیتم من العلم الا قلیلاً

जब तक इंसान का दिमाग़ सही तरह काम ना करे उस समय किस तरह यह इंसान दुनिया के सारे रहस्य के बारे में जान सकता है ?(33)

अहलेबैत अलैहेमुस्सलाम ने अपनी हदीसों में इन बातों को बयान किया था जिसे दुनिया अब धीरे-धीरे समझ रही है। जब तक ग़ैबत का ज़माना है, जब तक इंसान की अक़ल मोकम्मल ( बूद्धी पूर्ण ) ना हो, जब तक दिमाग़ सही तरह काम ना करेगा उस समय तक इल्म सीमित है। और उसकी एक सीमा है।

1. इल्म आज भी सीमित है, मिसाल के तौर पर, इंसान यह सवाल करे कि क्या ज़मीन सूरज का चक्कर लगाती है ?

या क्या सूरज, ज़मीन का चक्कर लगाता है ?

इंसान किस तरह पैदा होता और मरता है ?

इसका जवाब तो इंसान दे सकता है मगर “ क्यों ” ऐसा है। इस क्यों का जवाब नहीं दे सकता। इसलिए कि इल्म आज भी सीमित है।(34)

 


(33) सूरए असरॉः 85

(34)  इल्म व शिब्हे इल्मः 45

 

 

 

यात्रा : 3453
आज के साइट प्रयोगकर्ता : 13964
कल के साइट प्रयोगकर्ता : 239476
कुल ख़ोज : 165895470
कुल ख़ोज : 122442918