امام صادق علیه السلام : اگر من زمان او (حضرت مهدی علیه السلام ) را درک کنم ، در تمام زندگی و حیاتم به او خدمت می کنم.
1. विश्वास, दिल को मज़बूत बनाता है।

1. विश्वास, दिल को मज़बूत बनाता है।

इंसान नसीहत के माध्यम से अपने दिल को नया जीवन दे सकता है और उसमें आत्मा डाल सकता है। जिस तरह ईमान-ए-कामिल के करण यक़ीन बढ़ता है। इस लिए कि अगर यक़ीन मोकम्मल हो तो फिर शक की कोई गुंजाइश नहीं। इस लिए हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम अपने यक़ीन को मज़बूत करें।

हज़रत अली अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं :

احی قلبک بالموعظۃ...........و قوّہ بالیقین

वाज़ व नसीहत के माध्यम से अपने दिल को नया जीवन दो और यक़ीन (विश्वास) के माध्यम से उसको मज़बूत करो।(4)

गर अज़मे तू दर रहे हक़, आहनीन हस्त

मी दान बे यक़ीन कि राहे आन यक़ीन हस्त

अगर सत्य के रास्ते में तुम्हारा इरादा पक्का हो तो, जान लो कि उसका रास्ता सिर्फ़ यक़ीन (विश्वास) है।

जब इंसान के दिल में यक़ीन (विश्वास) पैदा हो जाए तो दिल भी मज़बूत हो जाता है। और जब दिल में विश्वास होता है तो फिर शैतान उस पर हावी नहीं होता है।

इसी कारण उसमें परेशानी पैदा नहीं होगी और वह कठिनायों के सामने सीसा पिलाई हुई दीवार बना रहेगा।

हज़रत अली अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं :

من قوی یقینہ لم یرتب

जिसका यक़ीन (विश्वास) मज़बूत होता है उसमें शक पैदा नहीं होता है।(5)

गर बा सूरते मलकी या बा लताफ़ते हूरी

ता बे माना ना रसी, अज़ हमे दिलहा दूरी।

अगर तुम फ़रिशते या हूर की तरह हो तो भी कोई फ़यादा नहीं अगर अपने लक्ष्य तक नहीं पहुँचे। और जब तक अपने लक्ष्य तक नहीं पहुँचोगे तब तक किसी के दिल में भी जगह नहीं बना पाओगे।

दीन के सिलसिले में हमेशा शक ऐसे इंसान को होता है जिस के दिल में विश्वास और यक़ीन ना हो। जिनका यक़ीन कमाल की हद तक होता है उनमें शैतान कभी शक और वसवसा नहीं पैदा कर सकता है। और वह शैतान के वसवसे और उसके धोके के सामने फ़ौलादी चट्टान बन कर खड़े रहते हैं।

इमाम-ए-बाक़िर अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं :

فیمرّ الیقین بالقلب فیصیر کأنّہ زبر الحدید

जब दिल में यक़ीन पैदा हो जाता है तो वह उसे फौलाद की तरह मज़बूत बना देता है।(6)

दिल में यक़ीन पैदा होने की सूरत में इंसान ख़ुद तो शक से दूर होता ही है, दूसरों को भी शक से दूर करता है और उनमें यक़ीन पैदा करता है। अब हम यहाँ पर यक़ीन की एक मिसाल पेश करेंगेः

 


4. बेहारुल अनवारः 77/219

5. शरहे गुररुल हेकम 5/230

6. बेहारुल अनवारः 78/185

 

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