امام صادق عليه السلام : جيڪڏهن مان هن کي ڏسان ته (امام مهدي عليه السلام) ان جي پوري زندگي خدمت ڪيان هان.
1) इमाम ज़माना (अ) के मरतबे और महानता की पहचान

1)इमाम ज़माना (अ) के मरतबे और महानता की पहचान

इमाम ज़माना (अ) का महान व्यक्तित्व अपनी प्रकाशमयी गुड़ों और विशेषताओं के कारण इन्तेज़ार की हालत के लिए महत्व पूर्ण है।

क्योंकि इस ज़मीन और दुनिया में आप के अतिरिक्त को दूसरा लीडरी, इमामत और दुनिया के सुधार के लाएक़ नही है, यह सभी कारण इन्सान के अपनी तरफ़ खीचते हैं और आप ही ख़ुदा की अंतिम निशानी, अंतिम मार्ग दर्शक और हादी हैं जैसा कि आप के बारे में हज़रत अमीर अल मोमेनीन (अ) फ़रमाते हैः

''عِلْمُ الْاَنْبِیٰاء فِی عِلْمِھِمْ وِسِرُّ الْاَوْصِیٰاء فِی سِرِّھِمْ وَ عِزُّالْاَوْلِیٰاء فِی عِزِّھِمْ ،کَا لْقَطْرَةِ فِی الْبَحْرِ وَ الذَّرَّةِ فِی الْقَفْرِ''[1]

सारे नबियों की इल्म, तमाम वसियों के राज़, सारे अवलिया की इज़्ज़तें और सम्मान, आप के इल्म, राज़ और इज़्ज़त के सामने ऍसे ही हैं जैसे समन्दर में एक बूंद या रेगिस्तान में एक कंण।

अब चूंकि हम ख़ानदाने इस्मत और तहारत की अंतिम शख़्सियत के ज़माने में जीवन व्यतीत कर रहे हैं इस लिए हमारा फ़र्ज़ बनता है कि आप की तरफ़ ध्यान और आप के मार्ग दर्शक कथनों का पालन करते हुए स्वंय को तबाही और बरबादी से बचाएं और उस दिन का इन्तेज़ार करें जब आप अदालत और हिदायत का परचम पूरी दुनिया पर फैला देंगे।

अगर कोई इस ज़माने में इमाम से परिचित हो और ग़ैबत के ज़माने में आप की ग़ैबी सहायताओं की जानकारी रखता हो और आप के ज़ोहूर के ज़माने में आप के माध्यम से पूरी दुनिया में होने वाली तबदीलियों की पहचानता हो, वह सदैव आप की याद में गुम रहेगा। और आप के आदेश[2] अनुसार सदैव विलायत के सूरज के निकलने का इन्तेज़ार करता रहेगा।

मारेफ़त ऍसे इन्सान के अंदर से ग़फ़लत और बे परवाही की ज़ंग को हटा देती है, और प्रकाश और नूर और पाकीज़गी को उसके स्थान पर बिठा देती है, अब हम आप के सामने एक ऍसी बेहतरीन रिवायत पेश करते हैं जो ग़ैबत के ज़माने में आप की ग़ैबी सहायताओं की तरफ़ इशारा करती है। जाबिर जअफ़ी ने जाबिर बिन अब्दुल्लाह अंसारी से और उन्होंने प़ैगम्मबरे अकरम (स) ने रिवायत की है कि आप फ़ारमाते हैः

''ذٰاکَ الَّذِیْ یَفْتَحُ اللّٰہُ تَعالٰی ذِکْرُہُ عَلٰی یَدَیْہِ مَشٰارِقَ الْاَرْضِ وَ مَغٰارِبَہٰا ،ذٰاکَ الَّذِیْ یَغِیْبُ عَنْ شِیْعَتِہِ وَ اَوْلِیٰا ئِہِ غَیْبَةً لاٰ یَثْبُتُ فِیْھٰا عَلَی الْقَوْلِ بِاِمٰامَتِہِ اِلاّٰ مَنْ اِمْتَحَنَ اللّٰہُ قَلْبَہُ بِالْاِیْمٰانِ ''۔

قٰالَ :فَقٰالَ جٰابِرُ :یٰا رَسُوْلَ اللّٰہِ) صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم( فَھَلْ یَنْتَفِعُ الشِّیْعَةُ بِہِ فِی غَیْبَتِہِ ؟فَقٰال: اَی وَالَّذِی بَعَثَنِی بِالنُّبُوَّةِ اَنَّھُمْ لَیَنْتَفَعُوْنَ بِہِ وَ یَسْتَضِیْئُوْنَ بِنُوْرِ وِلاٰیَتِہِ فِی غَیْبَتِہِ کَانْتِفٰاعِ النّٰاسِ بِالشَّمْسِ ،وَاِنْ جَلَّلَھَا السَّحٰابُ ، یٰا جٰابِرُ ،ھٰذٰا مَکْنُوْنُ سِرِّ اللّٰہِ وَ مَخْزُوْنُ عِلْمِہِ فَاکْتُمْہُ اِلاّٰ عَنْ أَھْلِہِ .[3]

वह (हज़रत मेहदी (अ)) हैं जिनके माध्यम से ख़ुदा पूरब और पश्चिम (सारी दुनिया) की ज़मीनों को फ़ैला देगा, वह वह हैं जो अपने शियों और दोस्तों की निगाहों से ओझल होंगे, इस तरह से कि उनकी इमामत के अक़ीदे पर कोई बाक़ी नही रहेगा मगर यह कि ख़ुदा ने जिसके दिल का इम्तेहान ले लिया हो।

जाबिर जअफ़ी कहते हैः जाबिर बिन अब्दुल्लाह अंसारी ने पैग़म्बर अकरम (अ) से कहाः ऍ अल्लाह के रसूल (स) क्या शिया उनकी ग़ैबत के ज़माने में उन से लाभ उठा सकेंगे?

पैग़म्बरे अकरम (स) ने जवाब में फ़रमायाः हां उस ख़ुदा की क़सम जिसने मुझे रसूल बना कर भेजा है वह (शिया) उनकी (इमाम ज़मान) ग़ैबत के ज़माने में उन से लाभ उठाएंगे, और उनके विलायत के नूर से प्रकाश हासिल करेंगे, उसी प्रकार कि जैसे लोग सूरज से फ़ाएदा उठाते हैं जब्कि वह बादलों की ओट में छिपा होता है, ऍ जाबिर यह ख़ुदा के छिपे हुए रहस्यों में से है और उसके इल्म के ख़ज़ानों में से है, इसलिए इसको छिपाकर रखो मगर इसके अहल से (यानि केवल उनके चाहने वालों से ही बताओ और किसी से नही)

जैसा कि आप ने देखा कि पैग़म्बरे अकरम (स) ने इस हदीस में ताकीद के साथ क़सम खाई है कि ग़ैबत के ज़माने में शिया इमाम ज़माना (अ) की विलायत से प्रकाश हासिल करते हैं।

कीस्त बी पर्दा बे दरख़्शी, नज़र बाज़ कुनद

चश्मे पोशीदाए मा, इल्लते पैदाई तस्त

अज़ लताफ़त न तवान याफ़्त, कुजा मी बाशी

जाई रहम अस्त बर आन कस कि तमाशाई तस्त

अगरचे आज के समय में इमाम ज़माना (अ) हमारी निगाहो से ओझल हैं, लेकिन वास्तव में यह ग़ैब का पर्दा हमारे दिलों पर है वरना इमाम एक चमकता हुआ नूर हैं और जिसका दिल पाक हैं उसके सामने हैं अगरचे वह देखने में अंधा हो[4]

इस वास्तविक्ता की तरफ़ ध्यान इन्सान को विलायत के पद और आप (इमाम ज़माना (अ)) के इल्म और क़ुदरत की तरफ़ मार्ग दर्शन करती है और इमाम ज़माना (अ) की मोहब्बत को दिलों में भर देती है और आगे आने वाली हुकूमत के इन्तेज़ार को दिलों में पैदा करती है।

 


[1] बिहारुल अनवार जिल्द 25, पेज 173.

[2] बिहारुल अनवार जिल्द 25, पेज 173.

[3] कमालुद्दीनः पेज 146 और 146, बिहारुल अनवारः जिल्द 36, पेज 250

[4] इसकी तौज़ीह के तौर पर अबू बसीर (जो की आँखो से देख नही सकते थे) और इमाम मोहम्मद बाक़िर (अ) की ग़ैबत की दास्तान असरारे मोवफ़्फ़ेक़ीयत नामक किताब में देखें।

 

 

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