حضرت امام صادق علیہ السلام نے فرمایا : اگر میں ان(امام زمانہ علیہ السلام) کے زمانے کو درک کر لیتا تو اپنی حیات کے تمام ایّام ان کی خدمت میں بسر کرتا۔
ज़हूर का ज़माना और अंतरिक्ष की यात्रा

ज़हूर का ज़माना और अंतरिक्ष की यात्रा

मेराज की रात में हज़रत मोहम्मद मुसतफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम आसमानों की ऊँचाई तक गए और आसमान पर ख़ुदा से बातें की। ख़ुदा ने हज़रत मोहम्मद मुसतफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम को इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ के बारे में, और उनके बा बरकत ज़माने के बारे में ख़बर दी। और इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ की क़यामत तक की हुकूमत के बारे में, दुनिया में जो आश्चर्यजनक परिवर्तन होंगे उन सब के बारे में विस्तार से, और दुनिया को ज़ुल्म व सितम से पाक होने के बारे में बताया।

अब इस रेवायत पर ग़ौर करें।

रसूले ख़ुदा हज़रत मोहम्मद मुसतफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम ने फ़रमायाः

فقلت : یا رب ھئولاء اوصیائی بعدی ؟

فنودیت یا محمد ؛ ھئولاء اولیائی و احبائی و اسفیائی ، و حججی بعدک علی بریتی ، و ھم اوصیا ئک و خلفاوک وخیر خلقی بعدک و عزتی و جلالی لا ظھرن بھم دینی ، و لا علین بھم کلمتی و لا طھرن الارض بأخرھم من اعدائی ، وللاملکنہ مشارق الارض و مغاربھا ، و لا سخرن لہ الریاح ، ولا ذللن لہ السحاب الصعاب ، و لا رقینہ فی الاسباب ، و لا نصرنہ بجندی ، ولا مدنہ بملائکتی ، حتی یعلن دعوتی ، و یجمع الخلق علی توحیدی ، ثم لا دیمن ملکہ ، ولا داولن الایام بین اولیائی الی یوم القیامۃ۔

मैंने कहा ऐ ख़ुदा वे (यानी मेरे अहलेबैत) मेरे बाद मेरे अवसिया (प्रतिनिधी) हैं ?

पस मैंने एक आवाज़ सुनीः ऐ मोहम्मद ! वे मेरे अवसिया, मेरे दोस्त, और मेरे चुने हुए हैं, और आप पर और आप की उम्मत पर मेरी तरफ़ से हुज्जत हैं। और तुम्हारे अवसिया, तुम्हारे जानशीन (प्रतिनिधी), और तुम्हारे बाद मेरी बेहतरीन मख़लूक़ हैं। मेरी इज़्ज़त और मेरे जलाल की क़समः यक़ीनन मैं उनकी सहायता से अपने दीन को उजागर करुँगा। और अपने कल्मे को उनके माध्यम से बरतर करुँगा। और उनमें से आख़री की सहायता से ज़मीन को दुश्मनों से पाक करुँगा। और उसको पूरब और पश्चिम का मालिक बनाऊँगा। हवाओं को और बादलों को उसके क़दमों में झुका दुँगा। अपनी फ़ौज से उसकी सहायता करुँगा। अपने फ़रिश्तों के माध्यम से उसकी मदद करुँगा। ताकि वह मेरे पैग़ाम को आम करे। सब लोगों को एक ख़ुदा की इबादत पर इकट्ठा करे। फिर उसकी हुकूमत को क़्यामत तक के लिए पायदार बना दूँगा।(15)

जैसा कि आपने पढ़ा कि इस रेवायत से कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में बात-चीत हुई है। इस रेवायत में इमामों कि अज़मत (महानता) उनके माध्यम से दीन को उजागर करना, आख़री इमाम की सहायता से ज़मीन को दुश्मनो से पवित्र करना, ख़ुदा की फ़ौज, हवाओं का इमाम के कदमों में झुका देना, एक ख़ुदा की इबादत करना, और एक ही राज्य क़यामत तक होने को बयान किया गया है।

 


(15) बेहारुल अनवारः 52/312

 

    ملاحظہ کریں : 2772
    آج کے وزٹر : 73277
    کل کے وزٹر : 164145
    تمام وزٹر کی تعداد : 159178072
    تمام وزٹر کی تعداد : 118048639