بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيمِ
प्रस्तावना
الحمد لاھلہ و الصلٰواۃ لاھلھا لا سیما علی الامام المنتظر و الحجۃ الثانی عشر روحی و ارواح العالمین لتراب مقدمہ الفداء
दुनिया को है उस मेहदी बर हक़ की ज़रूरत
हो जिसकी निगाह ज़लज़लए आलमें अफ़लाक
आपके सामने जो पुस्तक “इन्तेज़ार” है वह दो जिल्दे पर आधारित किताब “असरारे मोवफ़्फ़ेक़ीयत” से लिया गया एक अध्याय है जिसको हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन सैय्यद मुर्तज़ा मुजतहेदी सीसतानी ने फ़ारसी भाषा में लिखा है, जो सदैव अपनी पूरी कोशिश और संम्पूर्ण आस्था के साथ मकतबे अहले बैत (अ) और उसके ज्ञान, आदर्श और आदेशों को आध्याय, पुस्तक और रचनाओं के रूप में पेश करते रहे हैं, जो सत्य और वास्तविक्ता को तलाश करने वालों और विलायते के आशिक़ों के लिए मील का पत्थर है।
मैनें दोस्तों और स्वंय हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन सैय्यद मुर्तज़ा मुजतहेदी के कहने पर इस पुस्तक को हिन्दी भाषा में अनुवादित करने का दायित्व संभाला।
ताकि हम इसके माध्यम से क़ुरआन और अहले बैत (अ) की सुन्नत के साथ साथ इन्तेज़ार के वास्तविक अर्थ को लोगों तक पहुचा सकें, और पूरी दुनिया में इन्तेज़ार की हालत को पैदा कर सकें, और उस सुन्दर भविष्य को लोगों के सामने पेश कर सकें जो इमाम (अ) के ज़ोहूर के समय होगा, और हम सब ख़ुदा की उस रहमत और अनुकमपा से लाभ उठा सकें जो उसने हम को अपने ज़माने के इमाम के रूप में दी है, लेकिन जो जम़ाने की दुश्मनी हमारे गुनाहों और पापों के कारण से पर्दाए ग़ैबत में हैं, और हमारे लिए अनिवार्य हैं कि हम अपनी अक़्लों और आत्मा में इन्तेज़ार का वास्तविक अर्थ पैदा करें, ताकि ख़ुदा के इस फ़रमान का वास्तविक अर्थ समझ सकें
وَلَقَدْ كَتَبْنَا فِي الزَّبُورِ مِن بَعْدِ الذِّكْرِ أَنَّ الْأَرْضَ يَرِثُهَا عِبَادِيَ الصَّالِحُونَ[1]
और आख़िर में ख़ुदा से यही दुआ है कि वह हमको इन्तेज़ार का वास्तविक अर्थ समझने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए और इमाम ज़माना (अ) के साथियों में शुमार करे (आमीन)
उस सुन्दर भविष्य की आशा के साथ
सैय्यद ताजदार हुसैन जैदी
15/5/2011
[1] और हमने ज़िक्र के बाद ज़ोबूर में भी लिख दिया है कि हमारी ज़मीन के वारिस हमारे नेक बंदे होंगे, सूरा अम्बिया आयत 105
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