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संसार का अकेला न्यायिक राज्य

संसार का अकेला न्यायिक राज्य

जैसा कि हम पहले बयान कर चुके हैं कि इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ का न्यायिक राज्य सांसारिक होगा कि जो पूरे संसार पर राज्य करेगा। धरती के हर हिस्से पर यहाँ तक की जंगलों, और पर्वतों के ऊपर भी होगा। सारा संसार उन के न्यायिक राज्य से भरा होगा।

हम इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ की ज़ियारत में इस तरह पढ़ते हैः

...........و تجمع بہ  الممالک کلھا،قریبھا و بعیدھا،عزیزھا و ذلیلھا،شرقھا وغربھا،سھلھا وحبلھا،صباھا و دبورھا،شمالھا و جنوبھا،برھا وبحرھا،حزونھاووعروھا،یملاھا قسطاً وعدلاً،کما ملئت ظلماًوجوراً 

इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ के माध्यम से सारे राज्य को एक न्यायिक राज्य में परिवर्तित करे, चाहे दूर वाले हों या नज़दीक वाले, इज़्ज़तदार हों या पिछड़ी जाती वाले, उत्तर वाले हों या दक्षिण वाले, जंगल हो या पर्वत, हरयाली हो या बियाबान, हमवार हो या ना हमवार, हर स्थान को न्याय से भर दे जिस तरह वह उत्पीड़न से भरी हुई है।(6)

इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ सारे राज्य को एक न्यायिक राज्य में परिवर्तित करेंगे और पूरे संसार के राज्य को अपने राज्य में मिला देंगें, चाहे वह राज्य पूरब में हो या पश्चिम में हो, चाहे शक्तिशाली हो या कमज़ोर, वह पूरे संसार में अपनी विजय के माध्यम से अकेला न्यायिक राज्य बनाएंगें, और संसार के सारे राज्य उन के राज्य से मिल जाएंगें।

रसूले ख़ुदा हज़रत मोहम्मद मुसतफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम फ़रमाते हैं:

الائمۃ من بعدی اثنا عشر ،اولھم انت یا علی ،وآخرھم القائم، الذی یفتح اللہ تعالیٰ ذکرہ علی یدیہ مشارق الارض و مغاربھا۔ 

मेरे बाद मेरे 12 इमाम होंगें, जिन में से पहले तुम हो ऐ अली, और आख़री इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ हैं, कि ईश्वर जिनके माध्यम से पूरब और पश्चिम को विजयी बनाएगा।(7)

सारे संसार पर विजय पाने के कारण हर स्थान पर ईश्वर का न्यायिक राज्य होगा, और कोई भी छोटे से छोटा ज़ुल्म भी धरती पर बाक़ी नहीं रहेगा, इरी कारण संसार के सारे पीड़ित व्यक्ति इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ के न्यायिक राज्य की प्रतीक्षा में हैं।और उसी राज्य की प्रतीक्षा में हैं जब पूरे संसार में न्यायिक राज्य होगा।

हम इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ की ज़ियारत में पढ़ते हैं:

السلام علیک ایھا المؤمل الاحیاء الدولۃ الشریفۃ

सलाम हो आप पर कि जिसके न्यायिक और शरीफ़ राज्य की इच्छा की जाती है।(8)

ज़हूर के प्रकाशमयी और न्यायिक राज्य के बारे में इमाम-ए-मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं:

یظھر کالشھاب، یتوقد فی اللیلۃ الظلماء، فان ادرکت زمانہ قرت عینک

जिस तरह अंधेरी रात में कोई तारा प्रकट हो कर जब चमकता है तो सब को अपनी तरफ़ आकर्षित कर लेता है, इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ के ज़हूर का समय भी वैसा ही होगा।(9)

जब सारे इंसान गुमराही, और अंधेरे में भटक रहे होंगें तो लोगों के लिए इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ का ज़हूर इस तरह प्रकाशमय होगा कि सब लोग उसी की तरफ़ ध्यान देंगें और गुमराही व अंधेरे से निकल कर नेजात और हेदायत की तरफ़ आएंगें।

उस समय प्रतीक्षा करने वालों की आँखें खुल चुकी होंगीं, उनकी थकावट ख़त्म हो जाएगी, और उन में प्रसन्नता भर जाएगी।

जब लोगों में रात के घुप अधेरे की तरह इख़तेलाफ़ होगा, युद्ध और जंग होगी, उत्पीड़न होगा, तो उस समय इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ का न्यायिक राज्य मज़लूम और पीड़ित लोगों को परीशानी और कठिनाई से मुक्ति दिलाएगा।

इसी समय के बारे में रसूले ख़ुदा हज़रत मोहम्मद मुसतफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम फ़रमाते हैं:

ابشروا بالمھدی،ابشرو بالمھدی،ابشرو، ابالمھدی یخرج علی حین اختلاف من الناس وزلزال شدید،یملأالارض قسطاًوعدلاً،کماملئت ظلماًوجوراً،یملأ قلوب عبادہ عبادۃ،ویسعھم عدلہ

तुम से मेहदी के बारे में भविष्वाणी करतो हुँ, तुम से मेहदी के बारे में भविष्वाणी करतो हुँ, तुम से मेहदी के बारे में भविष्वाणी करतो हुँ, कि जब लोगों में बहुत ज़्यदा इख़तेलाफ़ होगा, उस समय इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ ज़हूर करेंगें और धरती को न्याय से उसी तरह भर देंगे जिस तरह वह उत्पीड़न से भरी हुई होगी। वह ईश्वर के बन्दो के दिलों को इबादत और बंदगी से भर देंगे, और सब पर उस के न्याय का साया होगा।(10)

रसूले ख़ुदा हज़रत मोहम्मद मुसतफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम फ़रमाते हैं:

یحل بامتی فی آخر الزمان بلاء شدید من سلاطینھم لھم یسمع بلاء اشد منہ حتی لا یجد الرجل ملجاً،فیبعث اللہ رجلاً من عترتی اھل بیتی یملأ الارض قسطاً و عدلاً  کما ملئت ظلماًوجوراً۔

یحبہ ساکن الارض و ساکن السماء، و ترسل السماء قطرھا، و تخرج الارض نباتھا لا تمسک فیھا شیئاً.......

یتمنی الاحیاء الاموات مما صنع اللہ باھل الارض من خیرہ۔

आख़री ज़माने में मेरी उम्मत को अपने ज़माने के बादशाहों की तरफ़ से बहुत ज़्यादा कठिनाई को सामना करना पड़ेगा कि जिस से ज़्यादा कठिनाई के बारे में किसी ने भी नही सुना होगा, किसी भी इंसान को कहीं भी पनाह नहीं मिलेगी, फिर ईश्वर मेरे परिवार से एक व्यक्ति को उन की तरफ़ भेजेगा, जो धरती को न्याय से उसी तरह भर देगा, जिस तरह वह उत्पीड़न से भरी हुई होगी।

धरती और आसमान के सारे लोग उसके चाहने वाले होंगें, आसमान से वर्षा होगी, धरती से हरयाली फूटेगी और ज़मीन में छिपी सारी वस्तुएँ बाहर आ जाएंगी।

उस समय जीवित लोग यह इच्छा करेंगें की काश वह लोग भी होते जो मर गए, उन की इच्छा का कारण वह कृपा होगी जो उस समय ईश्वर की तरफ़ से लोगों पर होगी।(11)

हम इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ के न्यायिक राज्य की कल्पना व कामना करते हैं और इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ के सांसारिक राज्य के गवाह होना चाहते हैं।

 


(6) सहीफ़ए मेहदीयाः 618

(7) बेहारूल अनवारः 52/378. हदीस न0. 184

(8) सहीफ़ए मेहदीयाः 620

(9) अलग़ैबाः मरहूम नोमानीः 150

(10) अलग़ैबाः शैख़ तूसी रहमतुल्लाह अलैहः 111

(11) अहक़ाकुल हक़ः 13/152

 

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