Imam Shadiq As: seandainya Zaman itu aku alami maka seluruh hari dalam hidupku akan berkhidmat kepadanya (Imam Mahdi As
ज़ोहूर के दिनों में अक़्लों का पूर्ण होना

 ज़ोहूर के दिनों में अक़्लों का पूर्ण होना

अब हम आप के सामने रिवायत में पाए जाने वाले दो बेहतरीन नुक्तों को पेश करेंगेः

  1. हज़रत इमाम ज़माना (अ) ना केवल अपने विषेश साथियों और दोस्तों से सरों पर हाथ फेरेगें बल्कि तमाम लोगों पर अपना पवित्र हाथ फेरेंगे। यानि हर वह इन्सान जो उस ज़माने में ख़ुदा की इबादत करता होगा चाहे वह जंग में इमाम का साथ ना भी दे रहा हो जैसे बूढ़े और बच्चे, सभी इस में शामिल होगें।
  2. तमाम लोगों की अक़्लें बिखराओ से नज़ात पा जाएगीं और सभी सोच और फ़िक्र जो कि इल्मों और समझ का रास्ता हैं की असीमित शक्ति पा जाएगें, उनकी अक़्लों के पूर्ण हो जाने का अर्थ यह है कि वह अपने दिमाग़ की पूरी शक्ति का प्रयोग कर सकेगें

बेशक जिस दिन लोगों के सरे पर फैल जाएगा और ग़ैबत के दिनों में मुश्किलों के मारे इन्सानों पर दया की जाएगी, अक़्लों के पूर्ण हो जाने के कारण दिमाग़ों की छिपी हुई शक्तियां सामने आ जाएगीं और ज़ोहूर के दिनों में इल्म और इल्मी संस्क्रति सब से ऊँची चोटी पर पहुंच जाएगी।

दिमाग़ की असीमित शक्ति और अक़्लों के पूर्ण होने के प्रभावों को बारे में और अधिक जानकारी के लिए हम आपके सामने दिमाग़ की असीमित शक्तियों के बारे में बयान करते हैः

इस दुनिया का हर इंसान चाहे वह असीमित शक्तियों वाला हो या एक आम आदमी वह अपने जीवन काल में अपने दिमाग़ के एक अरबवें भाग से अधिक का प्रयोग नही करता है। अगर सामान्य तौर से असीमित दिमाग़ी शक्तियों वाले लोग अपने दिमाग़ का केवल एक अरबवा भाग प्रयोग में लाएं तो वह अंतर जो उनके और एक आम आदमी के बीच में देखने में आएगा वह आश्चर्य में डाल देने वाला अंतर होगा[1]

यानि कि असीमित शक्तियों वाले लोग भी केवल अपने दिमाग़ का एक अरबवां भाग ही प्रयोग में लाते हैं लेकिन आप देखते हैं कि किस प्रकार उनका इतना कम प्रयोग भी दूसरे लोगों से कहीं बेहतर होता है।

कुछ साल पहले एक समकालीन गणितिज्ञ ने एक बहुत हंगामे वाला मसअला लोगों के सामने बयान किया, उसने अनुमान लगाया कि एक इन्सान का दिमाग़ दस इकाइयों (UNITES) को अपने अंदर समो सकता है, अगर हम इन इकाइयों के आम भाषा में बयान करे तो इस प्रकार होगा कि हम में से हर एक मास्को में पाए जाने वाले दुनिया के सब से बड़े पुस्तकालय में मौजूद दसियों लाख जिल्द किताबों को याद कर सकते हैं और उनको दिमाग़ में सुरक्षित कर सकते हैं, यह बात जिसको गणित में स्वीकार किया जा चुका है आश्चर्य चकित कर देने वाला लगता है[2]

अब आप ध्यान दीजिए कि जब विश्व सुधारक हज़रत इमाम मेहदी के चमकते हुए नूर की रौशनी में इन्सानी दिमाग़ की सारी शक्तिया पूर्ण हो जाएगीं और इन्सान अपने दिमाग़ की पूर्ण शक्ति (ना केवल एक अरबवे भाग को) को प्रयोग करेगा और पूरी दुनिया पर इल्म और इल्मी संस्क्रति छा जाएगी दुनिया का मंज़र क्या होगा?

जिस ज़माने में इन्सान अक़्लों के पूर्ण हो जाने के कारण रूह की सोई हुई शक्तियों को पा लेगा और उनको प्रयोग में लाएगा, तब वह अपने जिस्म को अपनी आत्मा के अधीन कर सकेगा और रूहानी शक्तियों के पा सकेगा। यानि अपने जिस्म को एनर्जी और किरणों में बदल सकता है और इस काम से अपने जिस्म से जिस्म और माद्दे की हालत को छीन सकता है, जब इन्सान इस काम को कर सकेगा तो बहुत से चमत्कार जो कि उस ज़माने में सामान्य होंगे कर सकेगा।

ग़ैबत के ज़माने में बहुत कम ऍसे लोग हैं जो तय्युल अर्ज़ (पलक छपकते ही धरती के एक भाग से दूसरे भाग में जाने की शक्ति) कर सकते हैं और इसको प्रयोग में लाते हैं, और अपने जिस्म से जिस्म और माद्दे की हालत को छीनकर अपने आपको एनर्जी और किरणों में बदल देते हैं और पल भर में एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंच जाते हैं, और वह अपनी आत्मा की इस शक्ति से जिस स्थान पर भी जाना चाहते हैं चले जाते हैं।

 


[1] तवानाई हाई ख़ुद रा बे शिनासीद,  पेज 347

[2] तवानाई हाई ख़ुद रा बे शिनासीद,  पेज 44

 

 

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