ज़हूर का ज़माना, समक्षता का ज़माना है
हज़रत अली अलैहिस्सलाम की हदीस पर ध्यान देने से पता चलेगा कि इंसान अपने आपको और अपने राज़ व असरार (बातिन) को इमाम-ए-ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ के समक्ष में समझे और इस तरह वह हराम कामों से बच सकता है और वह भी ग़ैबत के ज़माने में कि जो शैतान का ज़माना है। इस ज़माने में इंसान अपने ऊपर कंट्रोल करे। इस तरह इंसान ग़ैबत के ज़माने में भी इत्मीनान (निश्चिंता) प्राप्त कर सकता है। जैसा कि हम ने कहा था कि जब दिल पाक व पवित्र होंगे तो फिर इंसान आलमे मलकूत को भी देख सकता है। मगर अभी तक समक्षता (हालते होज़ूर) और ज़हूर के ज़माने में इंसान की अध्यात्मिक शक्ति, और समक्षता के ज़माने में (यानी जब इमाम-ए-ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ मौजूद होंगे) क्या होगी यह बात विस्तार से बयान नहीं हुई है और इस बात को बयान करने के लिए हम कुछ रेवायात बयान करेंगे, मगर उससे पहले हम कहेंगे किः
ज़हूर के बा बरकत ज़माने में इंसान की क्षमताए अपनी चरम सीमा पर होंगी। ऐसा लगेगा कि सब कुछ बदल गया है। ज़हूर क ज़माने में इंसान ना सिर्फ़ यह कि अध्यात्मिक रूप से बल्कि जिस्मानी रूप से भी तरक़्की (प्रगति) करेगा, जिससे संसार का एक नया इतिहास लिखा जाएगा। क्योंकि हमें कहीं भी ज़हूर के ज़माने जैसी पूर्णता नज़र नहीं आती।
ज़हूर के ज़माने में इंसान इमाम-ए-ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ की इमामत व वेलायत कि क्षत्रछाया में अपनी शक्तियों को उजागर करेगा और वह ज़माना नेमतों भरा हुआ ज़माना होगा। जिस तरह उस ज़माने में धरती अपने अंदर छिपे सारे ख़ज़ानों को उगल देगी उसी तरह इंसान भी अपने अंदर छिपी सारी शक्तियों को उजागर करेगा और वह आसानी से अपनी शक्तियों से लाभ उठाएगा।
अगरचे इंसान जिस्मानी रूप से छोटा है लेकिन उसमें असरार व रोमूज़ (राज़ों और रहस्यों) और शक्तियों का एक संसार समाया हुआ है। जो ज़हूर के ज़माने में उजागर होगा। इस तरह संसार का एक नया चेहरा दुनिया वालों के सामने होगा।
ज़हूर के बा बरकत और प्रकाशमय ज़माने में संसार में अनेक परिवर्तन होंगे कि उनमें से कुछ को हम अहलेबैत अलैहेमुस्सलाम के अक़वाल से भी समझ सकते हैं।
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