امام صادق عليه السلام : جيڪڏهن مان هن کي ڏسان ته (امام مهدي عليه السلام) ان جي پوري زندگي خدمت ڪيان هان.
इल्म सौदागरों का आलए-कार

इल्म सौदागरों का आलए-कार

इसमें कोई शक नहीं की इल्म एक चिराग़ की तरह है जिसका नूर इंसानों पर पड़ना चाहिए ताकि यह चिराग़ उनके रास्ते में उजाला बिखेर दे, ना यह कि यह ज़ालिमों के हाथों का आलए कार बना रहे और वे जैसे चाहें वैसे इल्म का इस्तेमाल करें। और इल्म के नाम पर दूसरों के साथ ख़यानत करें। लेकिन अफ़सोस से कहना पड़ता है कि तारीख़ इस बात की गवाह है कि अनेक जगहों पर इल्म का मिस यूज़ हुआ है और उसको ग़लत मक़सद के लिए इस्तेमाल किया गया है।

प्रोफ़ेसरों और प्रोफ़ेसर के रूप में बहरूपियों ने जाने अंजाने में इल्म के नाम पर, इल्म का मिस यूज़ किया है और जेहालत को इल्म के नाम पर लोगों के बीच रायज किया है। इस लिए बहुत से लोग इल्म से निराश हो गए। और उन लोगों को यह विश्वास हो गया कि यह प्रोफ़ेसरस अच्छा काम और अच्छी बात नहीं सिखा सकते है।

 

 

 

 

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