Imam Shadiq As: seandainya Zaman itu aku alami maka seluruh hari dalam hidupku akan berkhidmat kepadanya (Imam Mahdi As
1.मआरिफ़ का हासिल करना

1.मआरिफ़ का हासिल करना

(यानी ख़ुदा वन्दे आलम की हक़ीक़ी पहचान, और उसके एहकामात पर मोकम्मल यक़ीन।)

अहलेबैत अलैहेमुस्सलाम की हदीसों में यक़ीन की महानता और अज़मत को बयान किया गया है। अब सवाल यह पैदा होता है कि किस तरह हम यक़ीन की मंज़िल तक पहुँच सकते हैं ? इस सवाल का जवाब भी अहलेबैत अलैहेमुस्सलाम की हदीसों में पाया जाता है।

यक़ीन की मंज़िल तक पहुँचने के लिए सब से महत्वपूर्ण रास्ता, मआरिफ़ हैं।

जब इंसान मआरिफ़े इलाही से मोकम्मल तौर पर आगाह होता है तो पक्के इरादे के साथ यक़ीन की मंज़िल तक पहुँच जाता है।

रेवायात में इस बात को बयान किया गया है, मेराज की रात में ख़ुदा ने हज़रत मोहम्मद मुसतफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम से फ़रमायाः

والمعرفۃ تورث الیقین ، فاذا استیقن العبد لا یبالی کیف اصبح ، بعسر ام بیسر

मारेफ़त, यक़ीन का सबब है। और जब भी इंसान को यक़ीन हासिल हो जाएगा तो फ़िर उसको इस बात का डर और ख़ौफ़ नहीं होगा कि रात किस हाल में गुज़री है, सुबह कैसी हुई है ?  चाहे यह सुखों में गुज़रें या दुखों में।(20)

इस रेवायत से यह पता चलता है कि परेशानी और कशमकश की हालत उस वक़्त इंसान के अंदर पैदा होती है जब यक़ीन नहीं होता है। उस को दूर करने के लिए अपने अंदर यक़ीन पैदा करें और जब यक़ीन आ जाएगा तो मारेफ़त हासिल हो जाएगी, क्योंकि अहलेबैत अलैहेमुस्सलाम की मारेफ़त हासिल करने के लिए यक़ीन का होना बहुत ज़रूरी है।

 


20. बेहारुल अनवारः 77/27

 

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