حضرت امام صادق علیہ السلام نے فرمایا : اگر میں ان(امام زمانہ علیہ السلام) کے زمانے کو درک کر لیتا تو اپنی حیات کے تمام ایّام ان کی خدمت میں بسر کرتا۔
ज़हूर के ज़माने में शक्ति

ज़हूर के ज़माने में शक्ति

रेवायत से जो बात समझ में आती है वह यह है कि ज़हूर के ज़माने में इंसानों के लिए आश्चर्यजनक परिवर्तन होगा कि जिसके कारण इंसान दुनिया के एक कोने में अपने बैठे भाई को दुनिया के दुसरे कोने से देख सकेगा। हज़ारों कि0 मि0 की दूरी के बावजूद उन्हें आसानी से देखा जा सकेगा और उनके हालात का पता चल सकेगा।

हज़रत इमाम-ए-जाफ़रे सादिक़ अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं:

انّ قائمنا اذا قام مد اللہ لشیعتنا فی أسماعھم و أبصارھم حتّی ( لا ) یکون بینھم و بین القائم برید ، یکلّمھم فیسمعون و ینظرون الیہ ، وھوفی مکانہ

बेशक जब हमारा क़ायम (यानी इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ)ज़हूर करेगा तो ख़ुदा वन्दे आलम हमारे शीयों के कानों और आँखों में कशिश पैदा कर देगा। ( यानी उन की शक्तियों में इज़ाफ़ा हो जाएगा। ) यहाँ तक कि इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ तक पहुँचने के लिए किसी भी वसीले की ज़रूरत नहीं होगी, हमारे शीया हमारे क़ायम से कहीं से भी बात करेंगे और वह सुनेंगे और उसको देखेंगे, जबकि वह अपनी ही जगह पर होगें।(17)

 


(17) बेहारुल अनवारः 52/336. हदीस न0.72

 

 

 

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