امام صادق عليه السلام : جيڪڏهن مان هن کي ڏسان ته (امام مهدي عليه السلام) ان جي پوري زندگي خدمت ڪيان هان.
4 एकता से भरी हुई, दुनिया

एकता से भरी हुई, दुनिया

स्वर्गीय अल्लामा मजलिसी “किताबे बेहारुल अनवार ” में रेवायत बयान करते हैं कि इमाम-ए-मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम से पूछा गया:

ان اصحابنا بالکوفۃ جماعۃ کثیرۃ فلو أمرتھم لا طاعوک واتبعوک

فقال: یجیئ احدھم الیٰ کیس اخیہ فیاخذ منہ حاجتہ ؟

فقال : لا

قال : فھم بدمائھم أبخل

فقال:ان الناس فی ھدنۃ نناکھم و نوارثھم ونقیم علیھم الحدود و نؤدّی أماناتھم حتی اذا قام القائم جاءت المزاملۃ و یاتی الرجل الیٰ کیس اخیہ فیاخذ حاجتہ لا یمنعہ

कूफ़े में हमारे साथी बहुत हैं, अगर उन्हें हुक्म करें तो वह आपकी आज्ञा का पालन करेंगे और आपके आज्ञाकारी होंगे।

इमाम-ए-मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम ने फ़रमायाः क्या उनमें कोई भी अपने भाई की जेब से आवश्यकतानुसार लेता है ?

मैंने कहा नहीं।

इमाम-ए-मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम ने कहा, जब वह अपने माल के प्रति इतने कंजूस हैं तो वह अपनों के प्रति उससे भी ज़्यादा कंजूस होंगे।

फिर इमाम-ए-मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम ने कहा, अब लोगों में मेल मिलाप और सुख व शान्ति है। (यानी जब ज़हूर हो जाएगा उस समय।)

उनसे विवाह करेंगे, मीरास लेंगे, उनको धार्मिक सज़ा देंगे और उनकी अमानतें उनको लौटा देंगे, ताकि जब इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ ज़हूर करें तो उस समय लोगों में सच्चा प्यार पैदा हो जाए और लोग अपने भाईयों की जेब से आवश्यकतानुसार माल लेलें और वह उनको मना भी ना करें।(3)

बुद्धी की पूर्णता (अक़ली तकामुल) से समाज में सहृदता व प्रेम का ऐसा वातावरण बन जाएगा कि सब प्रेम, और एकता, का प्रयास करेंगे ।

उस ज़माने में आपसी जीवन में प्यार और मोहब्बत होगी इस तरह कि सब अपने माल में दूसरों को, और दूसरों के माल में अपने आप को शरीक (हिस्सेदार) समझ कर उससे लाभ उठायेंगे औह यह सब इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ के न्यायिक राज्य और ख़ुदा की हुकुमत के कारण होगा। फिर इंसान अक़ले कामिल से लाभ उठाते हुए प्यार,मोहब्बत,भाई-चारे की दुनिया की तरफ विचरित हो जाएगा ।

अब हम जो रेवायत बयान करने जा रहे हैं उस पर ध्यान देः

इमाम--मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम ने सईद इबने हसन से फ़रमायाः

أیجیئ احدکم الیٰ اخیہ فیدخل یدہ فی کیسہ،فیاخذ حاجتہ فلا یدفعہ ؟

فقلت: ما أعرف ذلک فینا ۔

فقال ابو جعفر علیہ السلام فلا شئ اذاً  ۔

فلت:فالھلاک اذاً،

فقال :ان القوم لم یعطوا احلامھم بعد

इमाम-ए-मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम ने फ़रमायाः

क्या उनमें से कोई ऐसा हैं जो अपने भाई की जेब से आवश्यकतानुसार लेले और माल का मालिक भी उसको मना ना करे ?

मैंने उत्तर दियाः हमने अपनों में ऐसा नहीं देखा।

इमाम-ए-मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम ने फ़रमायाः फिर तो कुछ भी नही है!!

मैंने कहाः फिर क्या हम लोग हलाक और गुमराह हो जाएँगे।

इमाम-ए-मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम ने इस शंका (एहतेमाल) को नकारते हुए फ़रमायाः

अभी तक लागों को उनकी बुद्धी नहीं दी गयी है।(4)

इस रेवायत के आधार पर जब तक समाज ऐसी महान विशेषता का मालिक ना बन जाए तब तक वह पूर्ण बुद्धी से लाभ नहीं उठा सकता।

इमाम-ए-मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम के बयान करने के अनुसार अभी तक उन को बुद्धियाँ नहीं दी गई हैं।

यानी समाज के लिए अक़ल की पूरी शक्तियोँ से लाभ उठाना असम्भव है। जिस तरह लोग सोने के ख़ज़ानों को मट्टी में छिपा देते हैं इसी तरह लोगों ने अपनी सोच-विचार की शक्तियोँ को भी ज़मीन के नीचे दफ़न कर दिया है ।

लेकिन उस समय इंसान की अकलें पूरी हो जाएँगी जिसके नतीजे में ना सिर्फ़ कंजूसी बल्कि सारी बुरी आदतें भी खत्म हो जाएँगी। बुरी आदतें खत्म हो जाएँगी।

 


(3) बेहारुल अनवारः 52/372

(4) उसूले काफ़ीः 1/173. बेहारुल अनवारः 74/254

 

 

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