امام صادق علیه السلام : اگر من زمان او (حضرت مهدی علیه السلام ) را درک کنم ، در تمام زندگی و حیاتم به او خدمت می کنم.
दुनिया का भविष्य और विश्व-युद्ध

दुनिया का भविष्य और विश्व-युद्ध

पहले भी और आज भी दुनिया के कुछ प्रसिद्ध लोग इस दुनिया के खत्म हो जाने से डरते थे और आज भी उनका डर बाक़ी है। क्योंकि वे जानते हैं कि उन्होंने ही दुनिया को एक ऐसे मोड़ पर ला खड़ा किया है जिसका रास्ता तबाही की तरफ़ जाता है। ऐसे ही लोगों में से एक “ आईंअस्टीन ” भी है।

रसल कहता है कि एटम और उससे भी बढ़ कर हाइड्रोजन बम जैसी चीज़ों से समाज की तबाही का डर लगा हुआ है। अक्सर इल्मी उन्नति इंसान को तबाही के मुंह में ढकेलने पर तुली हुई हैं।(19)

वकनत दुनोई कहता है कि आज दुनिया जैविक हथियार के कारण मोकम्मल तौर पर तबाही के मुँह पर खड़ी है। और दुनिया अब जा कर समझ पायी है कि इंसान की नेजात का रास्ता अच्छा अख़लाक है। हर प्रकार के हथियार बना कर, इंसानी तारीख़ में पहली बार इंसान अपने होश व हवास से किये गये काम पर भी शर्मिन्दा है।(20)

जी हाँ ! आज बहुत से यूरोप के वैज्ञानिक और पॉलीटीश्यिन्ज इंसान और दुनिया के भविष्य को लेकर चिंतित हैं उनको यह नहीं मालूम कि ऐसे हथ्यारों के प्रयोग से पूरी दुनिया तबाह हो सकती है।

विश्व युद्ध का बहाना लेकर एक मुल्क, दूसरे मुल्क को हथियार बेच रहा है। और यह पॉलीटीश्यिन्ज के पैसे कमाने का एक और भी रास्ता है जो ज़्यादा से ज़्यादा पैसे कमाने के चक्कर में अपना धर्म, ईमान, यहाँ तक कि इंसानियत को भी बेचने पर तुले हुए हैं। दुसरे मुल्क को हथियार बेचना, बड़े मुल्कों की आमदनी का ज़रिया है। इसी लिए हर दिन बाज़ार में नए अस्लहे दिखाई देते हैं। हर दिन एक से एक नये हथियार बाज़ार में दिखाई दे रहें हैं। अब इस रिपार्ट पर ध्यान दें।

दूसरे विश्व युद्ध में जापान के दो शहरों, हिरोशीमा और नागासाकी पर गिराए गए बमों नें बहुत ज़्यादा तबाही फैलाई। हालॉकि नाइड्रोजनी बम, एटम बम के मोक़ाबले में सुई की नोक के बराबर भी तबाही नहीं फैलाता है। उसकी शक्ति भी कम होती है। और यह बम जहाँ गिरता है वहाँ माइक्रोस्कोप से दिखाई देने वाली चीज़ें भी मर जाती हैं।

सामोईल कोइन, अपने अपविष्कार की ख़ूबियों और कमियों को इस तरह बयान करता है।

नाइड्रोजन बम में दो तरह की कमियाँ हैं। एक यह कि वह शहरों, घरों और इमारतों को नुक़सान नहीं पहुँचाता है। यह संभव है कि दुश्मन पर कब्ज़ा करने के लिए और उनको मिटाने के लिए एटम बमों का प्रयोग हो। इस बम की दूसरी खूबी यह है कि यह बम थोड़ा होने के बावजूद जानदारों के लिए बहुत ख़तरनाक है और यह सब को नीस्तो नाबूद कर देता है और सेकण्डों में एक बड़े से शहर को भी कब्रिस्तान बना सकता है। इससे धरती की सारी जानदार चीज़ें खत्म हो जाती हैं। मगर एटम ज़्यादा ख़तरनाक होता है क्योंकि इससे जो लोग मरते हैं वह अपनी जगह, जो बच जाते हैं वह अंधे, बहरे, और गूंगे हो जाते हैं। यानी इससे लोग अपाहिज हो जाते हैं।(21)

बर्तर इंदरासल, इल्म के बारे में सख़्त और तल्ख़ बयान देते हुए कहता हैः

हम एक ऐसे ज़माने में जिंदगी गुज़ार रहे हैं कि जो इंसानो के ख़त्म हो जाने का ज़माना है। अगर ऐसा हुआ तो सारा दोष इल्म का होगा।(22)

1960 ई0 में नौजवानो में पढ़ाई लिखाई का जोश देखा गया और उनमें एक दूसरे से आगे निकलने की ललक दिखाई दी।

पश्चिम संस्कृति नें इल्म को इंसानियत से दूर कर दिया और उसको सिर्फ़ अपने फ़ायदे के लिए इस्तेमाल किया और इसी तरह उन्होंने डेमाक्रेसी का सिर्फ़ ढोंग रचाया हुआ है।(23)

1945 ई0 के बाद से दुनिया तबाही के मुंह में खड़ी है। एटमिक हथियारों के कारण दुनिया वालों के सरों पर मौत का साया मंडलाता रहता है। फ़ौज और हथियार की दौड़ में हर मुल्क दूसरे से आगे निकलने के चक्कर में है। और इस तरह ज़मीन की बर्बादी का सामान इकठ्ठा हो रहा है। एटम बम  बनाने में आईंस्टीन और लिओज़ ईला का हाथ है।(24)

1962 ई0 में एटम बम के माहिरों ने यह बात बतायी कि एटम बम के परीक्षण से एक वर्ष में दो लाख अपाहिज बच्चे पैदा हुए हैं। एटम बम के इस्तेमाल से उनमें से निकलने वाली गैस सीधे गर्भ पर असर करती है, जिससे बच्चे अपाहिज पैदा होते हैं। जिन की छ उंगलियाँ होती हैं या वे लंगड़े और बद शक्ल पैदा होते हैं।

जॉन रूस्तान ने अपनी परेशानी का इज़हार करते हुए कहा कि एटम बमों के प्रयोग से इंसानी जीवन ख़तरे में है। और दुनिया के अनगिनत दानिशवरों ने उसकी बात से सहमति जताई है।

1962 ई0 में बम के सैंकड़ों माहिरों ने एक कॉनफ्रंस किया जिस का विषय थाः “हम सब एटम बम से मर जाएँगे अगर............”

इस कॉनफ़्रेस में फ़्रॉन्स के प्रसिद्ध माहिर और जाने माने प्रोफ़ेसर जॉन रूस्तान ने अपने ख़्यालात का इज़हार करते हुए कहा कि “ रेडियो ऐक्टिव गैस ” के कारण जानदारों के सरों पर हमेशा मौत मंडलाती रहती है। जो की नाबूदी का संदेश है और अगर इसको ना रोका गया तो भविष्य में आने वाली पीढ़ी अंधी, गूंगी, और बहरी पैदा होगी।

दुनिया में एटमिक हथियारों के प्रयोग के बाद भविष्य में आने वाली पीढ़ी हाथ की हथेली से ज़्यादा बड़ी नहीं होगी। अर्थात उनका क़द छोटा होता जा रहा है।

 


(19) आयतल कुर्सी, पयामे आसमानी तौहीदः 213

(20) आयतल कुर्सी, पयामे आसमानी तौहीदः 213

(21) कीहान समाचार पत्र, 5 शहरीवर 1360. पृष्ठः 5

(22) सीमाए इंसाने कामिल अज़ दीदगाहे मकातिबः 465

(23) इल्म, क़ुदरत, ख़ोशूनतः 87

(24) रावान शेनासीः 73

 

 

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