امام صادق علیه السلام : اگر من زمان او (حضرت مهدی علیه السلام ) را درک کنم ، در تمام زندگی و حیاتم به او خدمت می کنم.
समक्षता की कल्पना

समक्षता की कल्पना

अब आप इस नोक़ते की तरफ़ ध्यान दे कि संसार में कोई भी इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ से नूरानी हो सकता है ?

अतः ज़हूर के ज़माने में आप संसार के जिस कोने में भी होंगे वहाँ से इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ को देख सकेंगे।(21)

इस बात को समझने के लिए अबू बसीर की बेहतरीन रेवायत पर ध्यान दें।

याद रहे कि दो चीजें ऐसी हैं कि जो आलमे मलकूत तक और इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ तक पहुँचने में रुकावट होसकती हैं। उनमें से एक शैतान है और दुसरा इंसान का नफ़्से अम्मारा ।

लेकिन ज़हूर के बा बरकत ज़माने में यह सब नीस्त व नाबूद हो जाएँगे। और इंसान का नफ़्स बदल जाएगा। और फिर आलमे मलकूत तक पहुँचने में कोई भी रुकावट नहीं रहेगी।

लेकिन इस ज़माने में शैतान इंसान को बहकाता है और उसको धोका देता है और आलमे मलकूत तक पहुँचने में रुकावट है। शैतान इंसान को इसी दुनिया में लगा देता है और इंसान भी उसके धोके में आ जाता है इसीलिए इंसान ग़ैबत के ज़माने में आलमे मलकूत को नहीं देख पाता और जब देख नहीं पाता है तो फिर उसका इनकार भी कर देता है।

इसीलिए हमारा कर्तव्य है कि हम ग़ैबत के और ज़हूर के ज़माने को पहचानें ताकि नेजात के रास्ते को पहचान सकें।


(21) सहीफ़ए मेहदीयाः 93

 

بازدید : 5751
بازديد امروز : 50927
بازديد ديروز : 307674
بازديد کل : 156620701
بازديد کل : 114258104