الإمام الصادق علیه السلام : لو أدرکته لخدمته أیّام حیاتی.
हज़रत बक़ियतुल्लाह अरवाहोना फ़िदाह से तवस्सुल

हज़रत बक़ियतुल्लाह अरवाहोना फ़िदाह से तवस्सुल

 

यह बात याद रखना चाहिए कि हज़रत बक़ियतुल्लाह अरवाहोना फ़िदाह से तवस्सुल ईश्वर से तवस्सुल है । उसी तरह जिस तरह सारे मासूमीन से तवस्सुल,ईश्वर से तवस्सुल है अतः ज़ियारात में मासूमीन से तवस्सुल ईश्वर से ही तवस्सुल है इसलिए जो कोई भी ईश्वर से क़रीब होना चाहता है वह मासूमीन से तवस्सुल करे और ज़ियारते जामेया पढ़े।

و من قصدہ توجہ لکم

जो व्यकति (ईश्वर)को पाना चाहता है वह आप की तरफ़ आता है।

इंसान मासूमीन की तरफ मोतवज्जेह होकर कामयाबी और तरक़्क़ी के रास्तों को खोल लेता है बल्कि हर रुकावट को जो तरक़्क़ी के रास्ते में होती हैं उन को भी ख़त्म कर देता है इस लिए कि हज़रत बक़ियतुल्लाह अरवाहोना फ़िदाह  से तवस्सुल नेकी और रहमत के सारे रास्ते को खोल देता है और अंधकार को खत्म कर देता है ।

अतः हर ज़माने में उस इमाम की पहचान ज़रूरी है और यह किस तरह मुमकिन है कि कोई हज़रत बक़ियतुल्लाह अरवाहोना फ़िदाह को पहचानता हो और और उस महान हस्ती के पद को ना पहचानता है और उससे तवस्सुल ना करे ।

इस लिए हज़रत बक़ियतुल्लाह अरवाहोना फ़िदाह को ना पहचानना , सहीह मानो में उन महान हस्ती के पद को ना पहचान्ना है चाहे इंसान दूसरे इमामों को पहचानता ही क्यों ना हो।

अतः इस ज़माने मे हमारा कर्तव्य यह है कि हम हज़रत बक़ियतुल्लाह अरवाहोना फ़िदाह को पहचाने जो कि हमारे ज़माने के इमाम हैं ।

और इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि जिस तरह रसूले ख़ुदा और हज़रत अली अलैहिस्सलाम के ज़माने में अबूज़र, सल्मान, मेक़दाद, और सारे अवलियाए ईश्वर इन हस्तियों के क़रीब थे इसी तरह हम भी हज़रत बक़ियतुल्लाह अरवाहोना फ़िदाह से क़रीब हो जायें और उन से लापरवाही ना करें और उनको किसी भी समय ना भूलें ।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

زيارة : 4286
اليوم : 0
الامس : 288810
مجموع الکل للزائرین : 149461493
مجموع الکل للزائرین : 103550582