امام صادق عليه السلام : جيڪڏهن مان هن کي ڏسان ته (امام مهدي عليه السلام) ان جي پوري زندگي خدمت ڪيان هان.
इन्तेज़ार का महत्व

इन्तेज़ार का महत्व

इन्तेज़ार उन महान और भाग्यवान लोगों का गुण है जो कामयाबी और सफ़लता के रास्ते पर चल रहे हैं। चूंकि ग़ैबत (वह ज़माना जिस में वक़्त का इमाम नज़रों के सामने नही होता है) के दौरान इन महान हस्तियों से संबंधित रिवायतें और दृढ़ और मज़बूत कथन ख़ानदाने इस्मत और तहारत से दामन से जारी हुए हैं, हज़रत के ज़ुहूर का इन्तेज़ार करने वाले हर ज़माने के इन्सानों से बेहतर और महान हैं।

इसीलिए एक गुट इस दुनिया में इन्तेज़ार की मुश्किलों को कामयाबी और सफ़लता का राज़ मानता है।

उनका मानना है कि इन्सान इन्तेज़ार के कारण और उसके कमाल की पहचान और वसीले से वास्तविक्ता के गहरे समन्दर से कामयाबी और सफ़लता के मोती हासिल कर सकता है, और समाजी समस्याओं और दुनियावी रुकावटों से मुक्ति हासिल कर सकता है।

इन्तेज़ार वास्तव में बहुत मुश्किल काम हैं गोया राज़ों ने उसका घिराव कर रखा है (यानि इन्तेज़ार करना बहुत ही मुश्किल है) और बहुत ही कम लोगों ने इन्तेज़ार की वास्तविक्ताओं को समझा है, और दुश्मनों की मक्कारियों का विरोध किया है। चूंकि इन्तेज़ार का वास्तविक और सब से महान अर्ध इमाम ज़माना (अ) की इश्वरीय हुकूमत में ख़ुदाई निज़ाम को फैलाना और उस की सहायता करना है जिसको ईश्वरीय ताक़त से हासिल किया जाता है और इस प्रकार का इन्तेज़ार इमाम ज़माना (अ) के विशेष सहाबियों में पाया जाता है।[1]

इन्तेज़ार जिस पड़ाव में भी साबित हो जाए तो यह ग़ैबी दुनिया से ग़ैबी सहायता और ख़ुदा क़ुरबत का रास्ता है। और अगर यह सदैव के लिए हो जाए तो और सब से ऊँचे स्थान पर पहुंच जाए तो समय व्यतीत होने के साथ साथ इन्सान के वजूद की गहराईयों से उस कुंठा और खिचाव से सदैव के लिए दूर कर देता है जो उस इन्सान के वजूद और ज़मीर में इसकी (इन्तेज़ार की) जानकारी ना होने के कारण से होता है। और नूर ज्ञान के दरीचे इन्सान कू रूह में खोलता है और इसी प्रकार तकामुल के रास्ते को इन्सान पर खोल देता है। क्योंकि इन्तेज़ार नाम ही ऊँचे मरतबों और बुलंद मक़ाम तक पहुंचने के लिए आमादगी और तैयारी का है।

और रूहानी ध्यान को दुनिया से ख़ुलूस, वास्तविक्ता और प्रकाश की तरफ़ ख़ीचता है। वह दुनिया जहा सारी शैतानी और साम्राजी ताक़तें और क़ुदरतें समाप्त हो जाएं उस इन्सानियत की दुनिया की रूह में ख़ुदाई नूर जगमगा उठता है।

इस वास्तविक्ता को ध्यान में रखते हुए हम कहते हैं कि ऍसा व्यक्ति ही इन्तेज़ार के उन महान पड़ावों को तय कर सकता है जो असामान्य ताक़त और क़ुदरत रखता हो।

जैसा कि हम जानते हैं कि इमाम ज़माना (अ) की हुकूमत एक ग़ैरे मामूली हुकूमत होगी जिसको समझ पाना हमारी हिम्मत, ताक़त और सोंच से कहीं परे है। और सब के लिए ज़रूरी है कि सहायता करने वाले इमाम ज़माना (अ) के पास इकठ्ठा हो जाएं और आप की सहायता करें। ताकि अल्लाह के नेक बंदों में शुमार हों और आप के आदेशों और हुक्म के पालन करने की ताक़त हासिल करें, जिसको हासिल करने के लिए एक असमान्य ताक़त का होना आवश्यक है।[2]

वह रिवायतें जो इमाम ज़माना (अ) के तीन सौ तोरह विशेष साथियों की सिफ़तों और विशेषताओं को बयान करती हैं, उनके बारे में रहानी और ग़ैरे माद्दी ताक़तों के होने को बयान करती हैं यहा तक कि ग़ैबत के ज़माने में भी।

 


[1] जो लोग इमाम ज़माना (अ) की याद और तवस्सुल के साथ इन्तेज़ार को प्रोग्राम करते हैं वह संख्या में बहुत अधिक हैं। और अलहम्दो लिल्लाह इस प्रकार की मजलिसें और महफ़िलें बहुत बड़े पैमाने पर आयोजित हो रही हैं, और हम इस प्रकार की मज़लिसों का विरोध और इस प्रकार के लोगों के अंदर इन्तेज़ार के ना होने का विरोध नही करते है। क्योंकि इन्तेज़ार के विभिन्न दर्जे और मर्तबे हैं, और वह लोग जो इन्तेज़ार के वास्तविक और सब से ऊँचे मरतबे तक पहुंचे हैं अगरचे उन की संख्या बहुत कम है लेकिन यह उन्हीं लोगों में से उठे हैं और कठिन परिश्रम, कोशिशों और मुश्किलों को बर्दाश्त करके इस मक़ाम तक पहुंचे हैं, और इस महान मर्तबे को हासिल किया है।

[2] बहुत सी रिवायतों में इमाम ज़माना (अ) की हुकूमत में ग़ैरे मामूली ताक़तों से सहायता लेने को बयान किया गया है।

 

 

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