امام صادق عليه السلام : جيڪڏهن مان هن کي ڏسان ته (امام مهدي عليه السلام) ان جي پوري زندگي خدمت ڪيان هان.
इस पूरे निबंध का निष्कर्ष

इस पूरे निबंध का निष्कर्ष

इस पूरे निबंध का निष्कर्ष यह कि हमारी फ़िक्र और सोच-विचार उस सूरत में लाभदायक हैं जब उसमें यक़ीन पाया जाता हो। जो भी ख़ुदा तक पहुँचना चाहता है वह अपने अंदर यक़ीन पैदा करे।

जिनका संपर्क ग़ैब से होता है उनके अंदर यक़ीन ज़्यादा पाया जाता हैं, और वह अपने यक़ीन को और बढ़ाने की फ़िक्र में होते है। क्योंकि यक़ीन मानवी (आध्यात्मिक) शक्तियों को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण रोल निभाती है। जिस दिल में यक़ीन पाया जाता है उसमें शैतान कभी जगह नहीं बना सकता है। और जब शैतान दिल में घर नहीं बना नहीं सकेगा तो ऐसी सूरत में बातिन (नफ़्स) भी पवित्र हो जाएगा, और ख़ुदा की नज़रों में आमाल की भी अहमियत बढ़ जाएगी।

ख़ुदा की मारेफ़त, नफ़्स की इस्लाह ख़ुदा के विशेष

बंदों की सिफ़त है।

यक़ीन उसी सूरत में प्राप्त हो सकता है कि जब गुनाहों को छोड़ दिया जाए क्योंकि गुनाह बरसों की नेकियों और यक़ीन को नीस्त-नाबूद कर देते हैं।

गर अज़मे तू मोहकम व मतीन आमदे अस्त

दर परतवे अनवार यक़ीन आमदे अस्त

ता नूर यक़ीन बे दिल नताबीद, कुजा ?

सर पंजए अज़म, अज़ आसतीन आमदे अस्त

तुम्हारा इरादा मज़बूत हो मगर मज़बूत इरादे के साथ-साथ पक्का यक़ीन भी हो। जब तक दिल यक़ीन (विश्वास) के प्रकाश से प्रकाशमयी ना हो तब तक पक्का इरादा प्राप्त नहीं हो सकता है।

 

 

 

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