सिर्फ़ इल्म दुनिया की रहबरी नहीं कर सकता
सत्तरहवीं और अठ्ठरहवी शताब्दी में हसिल होने वाली इल्मी उन्नति के कारण बहुत से दानिशवरों ने यह सोच लिया था कि एक दिन ऐसा आएगा जब इल्म ही दुनिया की रहबरी करेगा और इल्म से लाभ उठाते हुए बनाए गए क़ानून की सहायता से दुनिया से दुख और ग़म दुर हो जाएगा। लेकिन ज़माना गुज़रने के साथ साथ यह भी साबित हो गया कि जो कुछ उन्होंने सोचा था उसका उल्टा हुआ। क्योंकि इल्मी उन्नति ने दुनिया को दुख और ग़म से नेजात दिलाने के बजाए उसमें और बेईमानी और कठिनाईयाँ बढ़ गयीं।
तारीख इस बात की गवाह है कि अब तक इस इल्मी तरक़्क़ी के होते हुए भी लाखों लोग मौत का नेवाला बन चुके हैं। लाखों लोग ग़रीबी और बेरोज़गारी की ज़िंदगी जी रहें हैं। यह सब सिर्फ़ इस लिए है कि इल्म ने तरक़्क़ी तो की लेकिन उससे लोगों में इंसानियत पैदा नहीं हुई। जबकि हर विभाग में उन्नती होनी चाहिए थी ना कि किसी एक विभाग में। इल्म उस सूरत में समाज को उन्नति के रास्ते पर ले जा सकेगा जब वह अक़ल और इंसानियत के साथ हो लेकिन अगर इल्म इनके बिना ही हो तो वह समाज और इंसानियत की तबाही का कारण बन सकता है । और कुछ नहीं।
بازديد امروز : 162011
بازديد ديروز : 273973
بازديد کل : 120297528
|