حضرت امام صادق علیہ السلام نے فرمایا : اگر میں ان(امام زمانہ علیہ السلام) کے زمانے کو درک کر لیتا تو اپنی حیات کے تمام ایّام ان کی خدمت میں بسر کرتا۔
बिजली से बड़ी शक्ति

बिजली से बड़ी शक्ति

ज़हूर के ज़माने में सर्जरी के लिए ना तो किसी छुरी की अवश्यकता होगी और ना ही दिमाग़ में चिप लगाने की।

क्योंकि उस समय बिजली से बड़ी शक्ति पूरे संसार को अपने घेरे में लेलेगी। सारी वस्तुएँ यहाँ तक कि जानवर के दिमाग़ में भी वेलायत का नूर पाकर प्रकाशमयी होगा जिसके कारण संसार में अजीब परिवर्तन होगा।

उस आश्चर्यजनक परीवर्तन के बारे रसूले ख़ुदा हज़रत मोहम्मद मुसतफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम ने फ़रमाया है किः

‘‘یقول الرجل لغنمہ و لدوابہ:اذھبوا فارعوافی مکان کذا و کذا و تعالوا ساعۃ کذا و کذا ،تمر الماشیۃ بین الزرعین لا تاکل منہ سنبلۃ و لا تکسر بظلفھا عوداً،والحیات و العقاب ظاھرۃ لا توذی احداً و لا یؤذیھا احد،والسبع علی ابواب الدور تستطعتم لا توذی احداً......’’

उस दिन वह लोग अपने पशुओं से कहेंगे कि जाओ और फ़लाँ फ़लाँ स्थान पर चरो और फ़लाँ समय तक वापस आ जाना। उस दिन पशु और जानवर खेतों और खलियानों से गुज़रेंगे और एक पत्ता भी नही ख़ाएँगे। कोई भी अपनी लाठी से किसी भी पेड़ का एक पत्ता भी नही तोड़ेगा। साँप और बिच्छु एक साथ घूमते रहेंगे और किसी को भी कष्ट नहीं पहुँचाएँगे।

दरिन्दे अपने खाने के लिए लोगों के घर घर जाएँगे और किसी को किसी भी तरह का कोई बनि नहीं पहुँचाएँगे।(19)

जानवरों के शऊर में प्रगति होने वाली रेवायात से पता चलता है कि जानवरों में लोगों का हुक्म मानने की क्षमता पैदा हो जाएगी। और वह अपने मालिकों के हुक्म को समझ कर उनकी आज्ञा का पालन करेंगे।

इसीलिए किसी को भी पशुओं के साथ चरागाह तक जाने की भी अवश्यकता नहीं होगी, उन्हें चरनें के लिए स्थान और समय बता दिया जाएगा और वह अपने मालिकों से स्थान और समय सुनकर वैसे ही ठीक ठीक उसका पालन कारेंगे। और चर कर बताए गये समय पर वापस आ जाएँगे।

ज़हूर के ज़माने में लोग जानवरों से बातें करेंगे इसलिए कि तारीख़ के पृष्ठ भरे पड़ें हैं कि नबियों और पैग़मबरों ने जानवरों से बातें की हैं।

भेड़िए का हज़रत अबूज़र से बात करके उनको पैग़मबरे अकरम की बेसत की ख़बर देना इस की एक मिसाल है।

हम ने जो रेवायात बयान की हैं, उस में रसूले ख़ुदा हज़रत मोहम्मद मुसतफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम ने इंसानों का पशुओं से बातें करने को बयान किया गया है, और यह ज़हूर के ज़माने कि विशेष्ताओं में से है, जैसा कि दूसरी रेवायत में इसको खुल कर बयान किया गया है।

हालाँकि पशुओं के पास बुद्धी नहीं होती है मगर ज़हूर के प्रकाशमयी समय में उनमें एक अजीब परिवर्तन आ जएगा और वह इस तरह पैदा किए गए हैं कि उनके अंदर परिवर्तन एक नए रूप को बयान करेगा और इस परीवर्तन को ख़ुदा ने पहले से ही उसके अंदर पैदा किया है।

 


(19) अत्तशरीफ़ बिलमननः 203

 

 

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