امام صادق علیه السلام : اگر من زمان او (حضرت مهدی علیه السلام ) را درک کنم ، در تمام زندگی و حیاتم به او خدمت می کنم.
पशुओं पर पूर्णवश

पशुओं पर पूर्णवश

अब इस बात को बयान करने के लिए एक वाक़ेआ बयान करते हैं कि जो पशुओं में परिवर्तन के बारे में साफ़ दलील हैः

डल गाडु एक बुल फ़इटर था हम उसके बुल फ़ाईटिंग के बारे में बयान करते हैं कि बुल फ़ाईटिंग में लोहे का दरवाज़ा खुला और एक बहुत ही शक्किशाली बैल उसमें से निकल कर मैदान की तरफ़ भागता हुआ सीधा डल गाडु की तरफ़ आ रहा था उसने डल गाडु के गुप्ताँग को निशाना बनाया, हज़ारों फ़ोटोग्राफ़र और मीडिया वाले वहाँ मोजूद थे और उनके दिल बहुत तेज़ी से धड़क रहे थे। सब इस डरावने दृश्य को देख रहे थे, और कोई भी उसे बचाने की हिम्मत नही कर रहा था।

मैदान में सिर्फ़ एक बैल के दौड़ने की आवाज़ आ रही थी, और हर कोई इस बात की प्रतीक्षा में था कि कब बैल अपनी सींघ से उठा कर डल गाडु को उठा कर आसमान की तरफ़ फेक दे, या उसके सीने को फाड़ दे।

डलगाडु ने अपने बचाव के लिए कुछ पहना भी नहीं था और उसने तलवार के बजाए एक तीर या भाला हाथ में पकड़ा हुआ था कि जिसपर कुछ बटन लगे हुए थे। बैल बहुत तेज़ी से डलगाडु की तरफ़ आ रहा था, एक मिनट बाक़ी था कि बैल डलगाडु को उठाकर आसमान की तरफ़ फेंक दे, सबकी आँखें उस दृश्य पर जमी हुई थीं और किसी को ख़बर नहीं थी की क्या होगा ?

डलगाडु ने एक बटन दबाया तो बैल रुक गाया, उसने डलगाडु को देखा और चुप चाप अपनी पहली वाली जगह पर वापस जाने लगा।

लोग अभी तक डरे हुए थे कि अगर वह चिल्लाएँ तो बैल फिर से गुस्से में ना आजाए मगर बैल अब गुस्से में नही था। डलगाडु ने बैल के सर में एक छोटी सी चिप लागा दी थी कि जिससे उसने बैल को वापस भेज दिया, ना सिर्फ़ यह कि उसने बैल को वापस लौटने का हुक्म दिया बल्कि उसके गुस्से को भी ख़त्म कर दिया। बैल अपनी जगह पर वापस चला गया और सब लोगों ने देखा कि डलगाडु ने फिर एक बटन दबाया तो बैल फिर से उसकी तरफ़ दौड़ कर आया और उसने फिर एक बटन दबाया तो बैल फिर शांत हो गया और वापस चला गया।

तमाशाइयों ने फिर से शोर मचाना शरू किया मगर बैल अपनी जगह पर बैठा रहा और यह परीक्षण कई बार किया गया और हर बार परीक्षण करने से यह पत चला कि बैल के सर में एक छोटी सी चिप है जिससे उस पर क़ाबू पाया जाता है।

जानवरों को इंजेक्शन लगाकर उनपर क़ाबू पाते हैं और उनको बेहोश करके उसके सर की हड्डियों में छेद करके उसमें एक छोटी सी चिप लगाते हैं जिस का कुछ भाग सर से बाहर होता है फिर ज़ख़्म पर पट्टी बाँधी जाती है ताकि ज़ख़्म ठीक हो जाए।(17)

सर में लगी हुई चिप को एक रिमोट से कंट्रोल किया जाता है उसी के माध्यम से उसको गुस्सा दिलाते हैं और उस फिर उसी की सहायता से उसके गुस्से को ख़त्म भी करते हैं।

1960 ई0 में विश्लेषण करने वाले एक समूह ने एक ऐसा आला बनाया कि जिसकी सहायता से दिमाग़ को कंट्रोल कर सकते हैं और उसमें दिमाग़ में सिम लगाने की भी अवश्यकता नहीं है और यह इस परीक्षण  विभाग में सब से आसान तरीक़ा है।(18)

 


(17) अजाएबे हिस्से शशुमः 54

(18) अजाएबे हिस्से शशुमः 65

 

 

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