امام صادق عليه السلام : جيڪڏهن مان هن کي ڏسان ته (امام مهدي عليه السلام) ان جي پوري زندگي خدمت ڪيان هان.
इमाम-ए-ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ ने ग़ैबत के ज़माने में लोगों से जो मुलाकातें की हैं उनके कारण को चंद गिरोह में यूँ बयान किया जा सकता है

इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ ने ग़ैबत के ज़माने में लोगों से जो मुलाकातें की हैं उनके कारण को चंद गिरोह में यूँ बयान किया जा सकता हैः

1. जो लोग ख़तरनाक बीमारी और बेचैनी का शिकार थे और उन्होंने जंगलों और बियाबानों में इमाम को पुकारा तो इमाम उनसे मिलने के लिए आ गए।

2. क़ुर्आन की आयतें और रेवायतों में बयान की गई कुछ दुआएं जिनको पढ़कर अगर इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ को पुकारा जाए तो इमाम मुलाक़ात के लिए ज़रूर आते हैं। कुछ लोगों ने उन नूरानी आयतों और दुआओं से लाभ उठाया और इमाम को आवाज़ दी तो इमाम भी उनसे मिलने के लिए तशरीफ़ लाए ।

3. किछ लोगों के आमाल ऐसे थे कि इमाम ने ख़ुद उनको अपनी बारगाह में बुलाया, सिर्फ़ उनके नेक आमाल के कारण उनको ये शरफ़ मिला कि उनको इमाम की ज़ियारत नसीब हुई।

4. अल्लाह के कुछ ख़ास बंदे जैसे जनाब-ए-ख़िज़्र, जनाब-ए-इल्यास नबी जिनको इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ की ज़ियारत का शरफ हासिल हुआ।

नोटः इन सारी बातों के बावजूद सबसे महत्वपूर्ण बात जो है वो ये है कि उन्हीं लोगों को इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ की ज़ियारत का शरफ़ हासिल हुआ जिनसे ख़ुद इमाम राज़ी और ख़ुश थे और इमाम की मर्ज़ी के बिना कोई भी इमाम से मुलाक़ात नहीं कर सका है और ना कर सकता है।

इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ ने जब भी अपने किसी चाहने वाले से मुलाक़ात की हो तो उनके द्वारा अपने शीयों को कुछ संदेश दिए हैं जिनको हम यहाँ बयान करेंगेः

मेरे दादा जनाब आयतुल्लाह स्वर्गीय हाज सय्यद मोहम्मद बाक़िर मुजतहेदी सीसतानी जो एक बहुत ही नेक और बा अमल आलिमे दीन थे, एक बार इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ ने मेरे दादा से मुलाक़ात की तो उनसे फ़रमायाः

मुझसे मिलने के लिए इतनी कठिनाईयाँ क्यों उठाते हो, ऐसा अमल क्यों नहीं करते कि मैं ख़ुद तुमसे मुलाक़ात करने के लिए आ जाऊँ।

ये बात ध्यान में रखना चाहिए कि ये संदेश सिर्फ़ उनसे ही मख़सूस नहीं है बल्कि दुनिया के तमाम शीयों के लिए है।

हम ख़ुदा से दुआ करते हैं कि वो हम सबको इस लाएक़ बनाए कि हम सब इमाम से मुलाक़ात कर सकें और इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ को हम से राज़ी फ़रमाए।

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