امام صادق فیق پوسی کسل بیونید پقری ناکهوےنمنرونه تهوک نارےنری ژهیوگنگ مه کهوی فیق پوے چوکی بیک پاٍ
मेरा दिल ख़ून है

मेरा दिल ख़ून है

" वल्लाह हुज्जत इबने हसन मज़लूम हैं " की साइट मे इस तरह लिखा है (इस के बाद आयतुल्लाह सीसतानी के निबंध को लाएंगे) इमाम-ए-हसन अलैहिस्सलाम ने स्वर्गीय आयतुल्लाह मीरज़ा मोहम्मद फक़ीह ईमानी के सपने मे फरमाया :

मिम्बर से लोगों से कहो और उन को हुकुम करो कि तौबा करो और इमाम-ए-ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ के ज़हूर के लिए प्रार्थना करो और इमाम-ए-ज़माना (अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ) के ज़हूर की प्रार्थना नमाज़े मैय्यत की तरह वाजिबे केफ़ाई नहीं है के अगर कुछ लोगें ने दुआ कर दिया तो दूसरे लोगों पर वाजिब नहीं है बल्कि नमाज़े रोज़ाना की तरह सब पर वाजिब है के इमाम-ए-ज़माना (अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ) के ज़हूर के लिए दुआ करें ।

किताबे मिकयालुल मकारिम ।

मगर अफसोस की बात है की आज इमाम-ए-ज़माना (अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ) के ज़हूर के लिए दुआ से लापरवाही हर जगह दिखाई देती है अगर हम सब इस बात को जान जाएं कि हम इमाम से कितने लापरवाह है तो हमें पता चल जाएगा कि इमाम-ए-ज़माना (अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ) इस दुनिया के सब से मज़लूम (पीड़ित) व्यक्ति हैं ।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन हाज इस्माईल शर्क़ी कहते है :

मै करबला की ज़ियारात के लिए गया और वहां हज़रत इमाम-ए-हुसैन अलैहिस्सलाम के हरम मे ज़ियारत मे व्यस्त था क्योंकि इमाम-ए-हुसैन अलैहिस्सलाम के सर कि तरफ दुआ करने से दुआ जल्दी क़बूल होती है इस लिए वहां पर मे ने ईशवर से प्रार्थना की के इमाम-ए-ज़माना (अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ) से मेरी मुलाक़ात हो जाए और मेरी आंखे उन के बेमिसाल नूर(प्राकाश) से प्रकाशमयी हो जाए ।

ज़ियारत करने मे व्यस्त था कि अचानक एक महान हस्ती प्रकट हुई यह और बात है की मैं उस समय उनको नही पहचान सका मगर उन की तरफ आकर्षित हुआ सलाम के बाद मैनें पूछा आप कौन हैं ?

उन्होंने फरमाया :

मै इस दुनिया का सबसे मज़लूम (पीड़ित) इन्सान हूँ ।

मै कुछ समझ नही सका और सोचा कि शायद, यह नजफ के महान आलिमों में से हों कि जिनकी क़दर लोगों ने नही की इस लिए वह अपने को इस दुनिया का सब से मज़लूम (पीड़ित) इन्सान कहते हैं.

मगर उसी समय मै ने ध्यान दिया कि कोई भी मेरे पास नहीं है अब मै समझा कि इस दुनिया के सब से मज़लूम इन्सान इमाम-ए-ज़माना (अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ) के अलावा कोई और नहीं है और मै उन से महरूम हो गया ।

हुज्जतूल इस्लाम वल मुस्लमीन हाज सय्यद अहमद मूसवी ने इमाम-ए-ज़माना (अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ) से मोहब्बत करने वाले हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन शैख़ मोहम्मद जाफ़र जवादी  से बयान करते हैं कि उन्हों ने सपने मे या जागते हुए इमाम-ए-ज़माना (अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ) को देखा और उन को बहुत ही दुखी देखा। आप ने इमाम-ए-ज़माना (अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ)से उन की हालत के बारे मे सवाल किया तो इमाम-ए-ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ फ़रमाया :

मेरा दिल ख़ून है । मेरा दिल ख़ून है ।

हज़रत इमाम-ए-हूसैन अलैहिस्सलाम ने क़ुम के एक आलिम के सपने में फ़रमाया :

हमारा मेहदी अपने ही ज़माने मे बहूत मज़लूम है । इसलिए तुम मेहदी के बारे में लिखो और लोगो को बताओ और याद रहे कि जो कुछ इस हस्ती के बारे में कहोगे वह सब मासूमीन के बारे में कहोगे । इसलिए कि सारे मासूमीन वेलायत व इमामत में बराबर हैं मगर चूंकि यह ज़माना मेहदी का है इस लिए उनके बारे में लागों को बताओ ।

अंत मे फ़रमाया :

मै तुम से यही चाहता हूँ कि मेहदी के बारे मे ज़्यादा से ज़्यादा किताबें लिखो और लोगो को बताओ कि हमारा मेहदी मज़लूम है लिहाज़ा जो कुछ भी कहा और लिखा जाए वह मेहदी के बारे में ही हो ।

हवाला:

साइट :वल्लाह हुज्जत इबने हसन मज़लूम हैं .

देखें : ( किताबे सहीफ़ए मेहदीया )

 

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