Imam Shadiq As: seandainya Zaman itu aku alami maka seluruh hari dalam hidupku akan berkhidmat kepadanya (Imam Mahdi As
यक़ीन को खो देना

यक़ीन को खो देना

तारीख़ पर निगाह डालने से ऐसे लोग मिलेंगे कि जो अपनी ज़िन्दगी में यक़ीन और ऐतेक़ाद रखते थे, मगर साबित क़दम ना रह सके, अतः उन्होंने गुनाह के कारण, अपने यक़ीन और ईमान को खो दिया।

ऐसे ही लोगों में से एक ज़ोबैर भी थे कि जो रसूले ख़ुदा हज़रत मोहम्मद मुसतफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम की वफ़ात के बाद, हज़रत अली अलैहिस्सलाम और अहलेबैते रसूल अलैहेमुस्सलाम की तरफ़दारी में सब से आगे आगे थे, वे हज़रत अली अलैहिस्सलाम के खास दोस्तों में से थे, लेकिन जब उनके बेटे बड़े हुए तो शैतान ने उनके दिल में शक का बीज बोया और फिर इस ने हज़रत अली अलैहिस्सलाम से बग़ावत, और उनसे जंग की।

हज़रत अली अलैहिस्सलाम उसके बारे फ़रमाते हैं:

ما زال کان الزبیر منا اھل البیت حتی نشاء بنوہ فصرفوہ عنا

ज़ोबैर हमेशा हमारे अहलेबैत में से था, लकिन जब उसके बेटे बड़े हो गाए तो उन्होंने उसको हम से मुनहरिफ़ कर दिया।(18)

इस लिए हम को ख़ुदा से अपने यक़ीन और ईमान के सही व सालिम रहने की दुआ करते रहना चाहिए कि जिसमें कभी कोई शक पैदा ना हो सके।

हम इमाम-ए-जाफ़रे सादिक़ अलैहिस्सलाम से बयान हुई जुमे की दुआ में पढ़ते हैं।

اللھم انی اسئلک ایماناً صادقاً و یقیناً لیس بعدہ کفر

ख़ुदा ! मैं तुझ से सच्चे ईमान और ऐसे यक़ीन की भीख मांगता हूँ कि जिसके बाद कुफ़्र और इनकार ना हो।(19)

यह रेवायतें इस बात की दलील हैं कि गुनाह के कारण इंसान का यक़ीन और ईमान शक और कुफ़्र में बदल सकता है। लेहाज़ा तमाम इंसानो को अपने नफ़्से अम्मारा (वह नफ़्स जो इंसान को गुनाह की तरफ़ ले जाता है।) होशियार रहना चाहिए। अगर हम अपने नफ़्से अम्मारा से ग़ाफिल हो गए तो वह हमें गुनाहों की तरफ़ ले जाएगा, और गुनाह होने की सूरत में यक़ीन और ईमान हमारे हाथों से चला जाएगा। अतः हमें ख़ुदा वन्दे आलम से ऐसे ईमान की दुआ करना चाहिए जिसके बाद कुफ़्र, और ऐसे यक़ीन की दुआ करना चाहिए जिसके बाद शक ना हो।

इस आधार पर जिस दिल में नूरे ईमान और नूरे यक़ीन पाया जाता है, गुनाह होने की सूरत में उस नूर में कमी हो जाती है। इस लिए हमारे लिए यह भी ज़रूरी है कि हमारे दिल में ग़ोरूर और घमंड भी ना आए क्योंकि इससे भी नूरे ईमान और नूरे यक़ीन में कमी हो जाती है। क्योंकि जिस ख़ुदा ने हमें नूरे ईमान और नूरे यक़ीन से संवारा है वह हम से उस नूर को गुनाह होने और दिल में घमंड आने के कारण छीन भी सकता है।

 


18. बेहारुल अनवारः 28/347

19. बेहारुल अनवारः 90/42

 

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