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पशुओं के जीवन पर विश्लेषण

पशुओं के जीवन पर विश्लेषण

यह बात साफ़ हो गई कि इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ का नूर सारे पशुओं में परिवर्तन पैदा करेगा और उनको प्रभावित करेगा।

पशुओं के बारे में लिखने के बाद हम अब कुछ मिसाल पेश करेंगे। हज़ारों पशुओं को देखने के बाद एक ख़ुदा पर ईमान बढ़ जाता हैं, जिस तरह धरती व आसमान को देख कर ईश्वर पर विश्वास होता है। और ख़ुदा वन्दे आलम इन सब को अपनी निशानी (आयत) के तौर पर बयान करता है:

ومن آیاتہ خلق السمٰوات والارض و ما بث فیھما من دابۃ

और उसकी निशानियों में से धरती और आसमान की पैदाइश है और उनके अंदर पाए जाने वाले तमाम जानदार।(20)

इसी तरह ख़ुदा वन्दे आलम क़ुर्आन में फ़रमाता है:

و فی خلقکم و ما یبث من دابۃ آیات لقوم یوقنون

और तुम्हारी ख़िलक़त (पैदाइश) में और जिन पशुओं को उसने संसार में रखा हुआ है उनमें भी विश्वास करने वालों के लिए बहुत सी निशानियाँ हैं।(21)

ख़ुदा वन्दे आलम सूरए अनआम में उनके बारे में फ़रमाता है:

و ما من دابۃ فی الارض ولا طائر یطیر بجناحیہ الا امم امثالکم ما فرطنا فی الکتاب من شئ ثم الی ربھم یحشرون

और धरती पर कोई रेंगने वाला या दोनो परों से उड़ने वाला पक्षी ऐसा नहीं है जो अपने स्थान पर प्रस्थान ना करता हो, उसने क़ुर्आन में किसी भी वस्तु को नहीं छोड़ा है कि जिसको बयान ना किया हो, और उस के बाद सब अपने ख़ुदा की बारगाह में हाज़िर होंगे।(22)

ख़ुदा ने इस आयत में पक्षियों के झुंड-झुंड होने को बयान किया है, पशुओं के बारे में सोच विचार करने से ईश्वर पर विश्वास बढ़ता है।

हम यहाँ पर पशुओं के जीवन की एक मिसाल बयान करेंगे कि जो पशुओं के झुंड-झुंड होने को बयान करता है और यह भी पता चलता है कि सूर्य का तेज़ होना और दिन का बड़ा होना, किस तरह उनको प्रभावित करता है और किस तरह से उन में परिवर्तन लाता है।

लाखों और अनेक पक्षी गरमी के मौसम में अंतिम समय में ऐसी जगह चले जाते हैं जहाँ जाड़े में मौसम ज़्यादा ठंडा ना हो और फिर उस मौसम के अंतिम दिनों में अपने असली घर वापस आ जाते हैं।

कुछ पक्षी ऐसे हैं जो तक़रीबन 32 हज़ार किमी से भी ज़्यादा उड़ते हैं और अपने असली घर को याद रखते हैं उन पक्षियों में कुछ एक साथ और कुछ अकेले यात्रा करते हैं।

जब दिन बड़ा होता है तब इन पक्षियों की यात्रा शुरू होती है और दिनों का बड़ा होना भी उनके फ़ायदे में होता है इस लिए कि जब दिन छोटा होता है तो यह पक्षी समझ जाते हैं कि अब हिजरत का समय आ गया है और यह पक्षी गरम छेत्रों में यात्रा करते हैं। और जब दिन बड़ा होता है तो ये पक्षी समझ लेते हैं कि अब अपने असली घर पलटने का समय आ गया है।(23)

हम भी इस प्रतीक्षा में हैं कि जल्दी से जल्दी इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ का ज़हूर हो और उनके प्रकाशमयी नूर से पूरा संसार चमक उठे।

पूरे संसार में एक महान परिवर्तन हो जाए और पशु, पक्षी, पहाड़, पेड़-पौधे, और इंसानों में प्रगती व उन्नति व परिवर्तन हो और एक नया दौर आरम्भ हो यानी वह दिन जब धरती व आसमान की हर वस्तु बदल जाएगी।

 


(20) सूरए शूरा, आयत न0. 29

(21) सूरए जासिया, आयत न0. 4

(22) सूरए अनाम, आयत न0. 38

(23) पुरसिशहाए अजीब, पासुख़हाए अजीब तरः 2/98

 

 

 

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