حضرت امام صادق علیہ السلام نے فرمایا : اگر میں ان(امام زمانہ علیہ السلام) کے زمانے کو درک کر لیتا تو اپنی حیات کے تمام ایّام ان کی خدمت میں بسر کرتا۔
किसी अंजान शक्ति का उसके दिमाग़ को ख़बर देना

किसी अंजान शक्ति का उसके दिमाग़ को ख़बर देना

क्या यह छठी इन्द्रिय (हिस) कोई तोहफ़ा थी या तकलीफ़ ?

इस बारे में पीटर का कहना था कि मैं इस बारे में कुछ नहीं जानता हूँ। मैं सिर्फ़ इतना जानता हूँ कि कोई शक्ति है जो भविष्वाणियोँ को मेरे दिमाग़ में डातली है। अब मैं सारे इंसानों से पहले ईश्वर से नज़दीक होना चाहता हूँ। क्योंकि ईश्वर ने करोड़ों इंससानों में से सिर्फ़ और सिर्फ़ मुझ पर कृपा की है और मुझे यह नेमत दी है। अतः मैंने यह इरादा किया है कि इस राडार जैसी वस्तु को लोगों के फ़ायदे के लिए इस्तेमाल करूं। अब मुझे एक नये जीवन का आरम्भ करना है। कयोंकि मैं अपनी अतीत को भुला देना चाहता हूँ और वह कोई काम नहीं करना चाहता हूँ जो मैंने अपने अतीत में किया था। इस नयी इन्द्रिय (हिस) के कारण मैंने अपनी पुरानी हिस (इन्द्रिय) खो दी है। मैं किसी भी विषय के बारे में 10 या 15 मिनट से ज़्यादा नहीं सोच सकता हूँ। क्योंकि हर पल मेरे मसतिष्क में हजारों बातें घूमती रहती हैं। अगर मैं किसी भी विषय के बारे में सोचना भी चाहूँ जैसे अगर एक कील ठोकने के बारे में सोच विचार करूँ तो अचानक मेरे चेहरे का रंग बिगड़ जाता है, मेरी सांस रुकने लगती है और जिस कुर्सी पर मैं बैठा रहता हूँ ऐसा लगता है वह हिलने लगी है।

 

 

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