امام صادق عليه السلام : جيڪڏهن مان هن کي ڏسان ته (امام مهدي عليه السلام) ان جي پوري زندگي خدمت ڪيان هان.
धरती

धरती

हम ने जो कुछ भी बयान कि उससे यह सम्भव है कि किसी पढ़ने वाले के लिए यह बात एक आश्चर्य का कारण हो अतः हम इस बात को विस्तार से बयान करेंगे।

गैबत के ज़माने में इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ के जल्वे इतने ज़्यादा हैं कि बड़े-बड़े मुल्क कि जो इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ को नहीं मानते और उनकी ग़ैलत को स्वीकार नहीं करते वे भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि हमारे पीछे कोई तो शक्ति है कि जो हमारी सहायता करती है। कोई तो है जिसको हम जानते नहीं पहचानते नहीं मगर वह क़दम-क़दम पर हमारे साथ हैं और हमारी सहायता करता है। अब इस बात पर ध्यान दें।(1)

दुनिया, और धरती के बारे में खोज करने वाले भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि यह धरती किसी एक शक्ति की क्षत्रछाया में है और इसका एक सिस्टम है जिसको कोई ना कोई चला रहा है। वह ऐसी शक्ति है जिसको हम आज तक जान नहीं सके हैं। और यह दुनिया उसी की क्षत्रछाया में है। और बहुत से वैज्ञानिको ने इस बात को अपने निबंध में बयान किया है। (2)

(जिसको हम यहाँ बयान नहीं करेंगे।)

यह भी जान लेना ज़रूरी है कि बड़े-बड़े मुल्क इस बात को भी स्वीकार करते हैं कि, ना सिर्फ़ यह कि इल्म की उन्नति के लिए बल्कि तारो, कहकशाओं और अंतरिक्ष तक पहुँचने के लिए एक ऐसी भी शक्ति की आवश्यकता है कि जो इस माद्दी दुनिया (भौतिकी संसार) से कहीं ज़्यादा हो, और जब यह सूरते हाल पैदा हो जाएगी तब अंतरिक्ष में पहुँचना सम्भव होगा। और फिर उसी तरह इल्म में भी उन्नति होगी। इन सारी बातों को लेकर दुनिया वालों ने बहुत प्रयास किया मगर चूंकि वह उन लोगों से सहायता मांगते थे जो इल्म के दर से दूर थे इस लिए उनको निराशा से दोचार होना पड़ा। जिन लोगों को यह (यानी अंतरिक्ष के रहस्य के बारे में पता लगाना।) काम आनइस्टाइन और डा0 जोसेफ़ ने सौंपा था वह या तो पागल हो गए या फिर मर गए। और बाद में आईंस्टीन ने इस काम से हाथ खींच लिया और डा0 जोसेफ़ खुफ़िया तौर से किसी के हाथों मारा गया। ज़हूर के ज़माने में अंतरिक्ष तक पहुँचने के लिए अंतरिक्ष और संसार की उसअत पर एक नज़र डालते हैं।

 


(1)

(2) अजीब तर अज़ रोयाः 356

 

 

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