الإمام الصادق علیه السلام : لو أدرکته لخدمته أیّام حیاتی.
इस ज़माने में अंतरिक्ष की यात्रा

इस ज़माने में अंतरिक्ष की यात्रा

इस संसार और सौर मण्डल के पता लगाने से और चाँद और सूरज को जान लेने से, क्या हम कह सकते हैं कि हमने उनके बारे में सारी जानकारी प्राप्त कर ली है ?

दुनिया के ज़ालिम व जाबिर मुल्क अपनी हुकूमतों को बचाने और अपनी ताक़त दुनिया वालों पर उजागर करने के लिए लोगों को इस तरह से डराते हैं, और यह साबित करना चाहते हैं कि उनका कब्ज़ा सिर्फ़ इसी दुनिया तक ही नहीं बल्कि उनकी पहुँच अंतरिक्ष तक है। और लोगों को अपनी तरफ़ आकर्षित करने के लिए अपने अंतरिक्ष की यात्रा को ऐसे बयान करेंगे जैसे उन्हों ने कोई जग जीत लिया हो। जबकि वह हक़ीक़त से कोसों दूर होता है।

हालाँकि वह वे यह भी जानते हैं कि सितारों और अंतरिक्ष में पहुँचने के लिए ऐसी शक्ति की अवश्यकता है कि जो इस दुनिया की क़ैद से आज़ाद हो और नूर की रफ़्तार से भी ज़्यादा तेज़ हो। और वे लोग यह बात अच्छी तरह जानते हैं कि जब पूरी दुनिया पर इल्म का राज्य होगा और इंसान अपनी अक़ल के तकामुल (बुद्धी पूर्णता) तक पहुँच जाएगा तो आज की इस तरक़्क़ी को देख कर हँसेगा। दिलचस्प बात तो यह है कि अब ना सिर्फ़ दुनिया की ज़ालिम व जाबिर हुकूमतें इस बात को जानती हैं बल्कि वह लोगों को भी उससे आगाह करा रहे है। इससे यह बात अच्छी तरह वाज़ेह हो जाएगी।

आज अंतरिक्ष में यात्रा करना बहुत महँगा है। अमेरिका का अंतरिक्ष शटल और रूस का अंतरिक्ष में स्टेशन बहुत ही महँगा है। क्योंकि अंतरिक्ष में जाते समय वहाँ जिस-जिस चीज़ की भी आवश्यकता पड़ सकती है, ज़मीन से वह सारी चीज़ें अपने साथ लेकर जाना पड़ता है। अब अंदाज़ा लगाए कि एक किलो चीज़ को ज़मीन से ले जाने में दस हज़ार डॉलर का खर्चा है। मिसाल के तौर 1993 ई0 में एक ऐसा टेली स्कोप जिस की सहायता से अंतरिभ में देखा जा सकता है उसको बनाने का खर्चा सौ मिलयन डॉलर था। यह एक छोटी सी मिसाल है। (11)

यह बात साफ़ है कि अंतरिक्ष में जाने के लिए कितने ख़र्चे की ज़रूरत है। अब अंतरिक्ष में जाने के लिए होने वाले खर्चे के बारे में दो और बातों पर ध्यान दें, उसके बाद एक नुक्ते को बयान करेगें।

अमेरिकी राज्य नें “ आपोलिओ ” को चाँद पर पहुँचाने के लिए पाँच मिलयन से ज़्यादा ख़र्चा किया। यह ख़र्च इतने ज़्यादा हैं कि जिनको देख कर इंसान हैरान हो जाता है।

आपोलिओ की यात्रा का ख़र्चा 1991 ई0 में खलीज़े फ़ारस की जंग से ज़्यादा था। क्योंकि उस समय चाँद पर पहुँचने के लिए इससे कम ख़र्च सम्भव नहीं था। सब को इस यात्रा से आशा थी कि कोई ना कोई नतीजा निकलेगा। मैंने खुद भी यह ख़बर सुन कर बहुत सारे निबंध टेलीग्राफ़ के माध्यम से प्राकाशित किए और चाँद पर स्टेशन इजाद होने के बारे में लिखता रहा यहाँ तक कि चाँद पर होटल का सुनकर मैंने भी दो लोगों का एक कमरा बुक किया था।

मगर यह जल्द बाज़ी का नतीजा था कि चाँद पर पहुँचने वालों ने वहाँ क्या किया उसका भी पता नहीं चल सका। और चाँद से वापस आने के बाद उन लोगों ने वहाँ क्या खोज की इस बात का भी पता नहीं चला। मैंने पहले भी कहा था कि चाँद पर जाने का ख़र्चा कई सौ मिलयन डॉलर है। (12)

 


(11) जहान 500 साल आईंदा : 426

(12) जहान दर 500 साल आईंदा : 279

 

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