1) नाउम्मीदी और निराशा से बचाव
ऍसै समाज में जहा दीन की कोई अहमियत नही है और लोग अच्छे भविष्य के इन्तेज़ार में नही हैं, वहां जीवन से निराशा, क़त्ल और अत्याचार, अत्म हत्या बहुत अधिक होती है। क्योंकि लोग बुरे कारणों जैसे बेपरवाही, फ़क़ीरी, ग़रीबी, ज़ुल्म और अत्याचार, क़ानून को तोड़ना और उसका द्रुउपयोग, इन्सानी अधिकारों की पामाली, जैसे हालात से दो चार होते हैं और इससे मुक़ाबले के तरीक़ों की जानकारी नही रखते हैं जिसके कारण समाज और सोसाइटी की तबाही देखते ही नाउम्मीदी और निराशा का शिकार हो जाते हैं।
इसका कारण यह है कि वह अल्लाह पर ईमान नही रखते हैं और अच्छे भविष्य की कोई आशा नही रखते हैं और इन सारी समस्याओं का हल आत्म हत्या के समझते हैं, और इस अपराध (आत्म हत्या) को अंजाम देकर ना केवल अपनी दुनिया और परलोक को ख़राब करते हैं बल्कि अपने बीवी बच्चों और रिश्तेदारों को भी मुश्किलात में ढकेल देते हैं।
लेकिन जिस व्यक्ति के दिल में इन्तेज़ार की हालत होती है वह सदैव आशावादी रहता है विलायत के चमकदार नूर को सारी ज़मीन पर चमकता हुआ देखता है, कभी भी इस प्रकार के अपराधो (आत्म हत्या) को अंजाम नही देता है, और इस पर राज़ी नही होता है कि अपने जीवन की आहूती देकर दूसरों को भी मुश्किलात में ढकेल दे. इसीलिए ज़ोहूर के इन्तेज़ार का मसअला उसके लिए एक रास्ता हैं और वह नाउम्मीदी और निराशा से बचाव की पृष्ट भूमि तैयार करता है। अब हम जो रिवायत पेश करने जा रहे हैं वह इसी वास्तविक्ता की तरफ़ इशारा कर रही हैः
عَنِ الْحَسَنِ بْنِ الْجَھِمْ قٰالَ: سَأَلْتُ أَبَا الْحَسَنْ (علیہ السلام )عَنْ شَیْئٍ مِنَ الْفَرَجِ ، فَقٰالََ: اَوَ لَسْتَ تَعْلَمُ اَنَّ اِنْتِظٰارَ الْفَرَجِ مِنَ الْفَرَجِ ؟ قُلْتُ لاٰ أَدْرِیْ اِلاّٰ أَنْ تُعَلِّمَنِی ۔ فَقٰالَ نَعَمْ ، اِنْتِظٰارُ الْفَرَجِ مِنَ الْفَرَج۔[1]
हसन बिन जहम कहते हैः मैने हज़रत मूसा बिन जाफ़र (अ) से फ़रज (जोहूर) के बारे में सवाल किया। इमाम ने फ़रमाया क्या तुम नही जानते कि फ़रज का इन्तेज़ार विस्तार और वुसअत में से हैं मैंने कहा जितना आपने मुझे बताया है उससे ज़्यादा की मुझे जानकारी नही. इमाम ने फ़रमाया फ़रज का इन्तेज़ार विस्तार और वुसअत में से हैं।
بازديد امروز : 88057
بازديد ديروز : 286971
بازديد کل : 101768799
|