امام صادق علیه السلام : اگر من زمان او (حضرت مهدی علیه السلام ) را درک کنم ، در تمام زندگی و حیاتم به او خدمت می کنم.
भविष्य में इल्मी प्रगति, अहलेबैत अलैहेमुस्सलाम की नज़र में

भविष्य में इल्मी प्रगति, अहलेबैत अलैहेमुस्सलाम की नज़र में

अब हम ऐसी रेवायत बयान करते हैं कि जो अनेक प्रकार से बयान हुई हैं। जो उस ज़माने में पूरे संसार के लोगों और तमाम शियों में इल्म (ज्ञान) पर गवाह है। हज़रत इमाम-ए-जाफ़रे सादिक़ अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं:

العلم سبعۃ وعشرون حرفاً، فجمیع ما جاءت بہ الرسل حرفان ، فلم یعرف الناس حتی الیوم غیر الحرفین ، فاذا قام قائمنا أخرج الخمسۃ والعشرین حرفاً فبثھا فی الناس ، وضم الیھا الحرفین ، حتی یبثھا سبعۃ و عشرین حرفاً

इल्म के 27 शब्द हैं, जो सारे पैग़मबर लाए वह दो शब्द हैं। आज तक लोग उन शब्दों के अलावा कुछ नहीं जानते हैं। जब क़ायम (यानी, इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ) ज़हूर करेंगे तो वह बाक़ी 25 शब्दों को लोगों के लिए बयान करेंगे और उसको विस्तार से बयान करेंगे और उसमें कुछ शब्द और बढ़ा देंगे ताकि पूरे 27 शब्द लोगों के बीच फैल जाएँ।(1)

 


(1) बेहारुल अनवारः 52/336. मुख़तसरुल बसाएरः320. नवादेरुल अख़बारः278۔ दुर्रुल ख़राएजः 2/841.

 

 

 

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