امام صادق علیه السلام : اگر من زمان او (حضرت مهدی علیه السلام ) را درک کنم ، در تمام زندگی و حیاتم به او خدمت می کنم.
आईंस्टीन की ग़लती

आईंस्टीन की ग़लती

इस का कहना यह था कि दुनिया में किसी भी चीज़ की रफ़्तार नूर (प्रकाश) से ज़्यादा नहीं होती है। यानी संसार में सबसे तेज़ रफ़तार नूर की है। मगर अब यह पता चला है कि इस दुनिया में एक चीज़ और भी है जिसका नाम “ ताख़्नून ” है और उसकी रफ़्तार नूर से भी ज़्यादा है। और अगर आईंस्टीन की बात को सही मान लें तो फ़िर इंसान कभी भी अन्तरिक्ष में यात्रा करने की शक्ति नहीं रखता है।

इसके अलावा ख़ानदाने नोबूवत की हदीसों के अनुसार जिब्रईल एक सेकेंड में आसमान और कहकशाओं से भी तेज़ सफ़र करके ज़मीन की तरफ़ आते थे। आईंस्टीन और इस जैसे लोगों को ऐसी ग़लत फ़हमी सिर्फ़ और सिर्फ़ इस लिए हुई कि वे लोग ख़ानदाने रसूल से बहुत दूर हैं। और उनके इल्मी मआरिफ़ को नहीं पहचानते हैं।

“ ज़ूमरफ़लद ” ने एक थ्योरी बनाई कि ऐसे ज़र्रात (कण) भी संसार में पाए जाते हैं कि जिनकी रफ़्तार नूर से भी ज़्यादा है। जिनकी ख़ासियत यह है कि उनकी एनर्जी जितनी कम होती जाएगी उनकी रफ़्तार उतनी तेज़ होती जाएगी। आईंस्टीन की बात ज़ूमरफ़लद की बात से भी ग़लत साबित हो गई।(31)

सही थ्योरी अगर एक बार इल्म के मैदान में क़दम रख दे तो फ़िर कभी भी अपना आकर्षण नहीं खोती है। ज़ूमरफ़लद ने जिस दिन से अपनी थ्योरी को पेश किया उसी दिन से फिज़िक्स के माहिरों ने उसकी तहक़ीक़ शरू करदी। और आख़िरकार 1967 ई0 में अमेरिका की एक कोलम्बिया नामी यूनिवर्सिटी के “ जारलड फ़ेबरिम ” नामी एक प्रोफ़ेसर ने एक पत्रिका में लिखा कि नूर (प्रकाश) से भी तेज़ रफ़्तार एक चीज़ है कि जिसका नाम “ ताख़्नून ” (tachionen) है।

यह यूनानी भाषा का एक शब्द है (tachys) उससे लिया गया है। कि जिस का अर्थ तेज़ रफ़्तार होता है। फिज़िक्स के माहिरों ने यही बात कही है कि नूर से तेज़ रफ़्तार कोई चीज़ नहीं होती है। लेकिन कुछ माहिरों का मानना है कि नूर से भी ज़्यादा तेज़ रफ़्तार कण इस संसार में मौजूद हैं।

 


 (31) मग़ज़ मोताफ़िक्किरे जहान शीयाः 362

 

    بازدید : 2808
    بازديد امروز : 10646
    بازديد ديروز : 243717
    بازديد کل : 161960414
    بازديد کل : 119872188