الإمام الصادق علیه السلام : لو أدرکته لخدمته أیّام حیاتی.
किस तरह ग़रीबी और ऋण (क़र्ज़) से छुटकारा पाएँ ?

किस तरह ग़रीबी और ऋण (क़र्ज़) से छुटकारा पाएँ ?

सवालः मैं एक ग़रीब इंसान हूँ और पोर-पोर तक क़र्ज़ में डूबा हूँ। जितनी भी कोशिश करता हूँ सब बेकार हो जाती हैं। जिस काम को भी हाथ लगाता हूँ ख़राब हो जाता है। मुझे अपने क़र्ज़े को लेकर बहुत चिंता होती है कि कैसे अदा होगा ? कृपया कोई हल बताएँ ।

जवाबः आप की मुश्किल का हल बताने से पहले मैं ये कहना चाहता हूँ आज पूरी दुनिया में लाखों, करोड़ों लोग ग़रीबी और भुखमरी का शिकार हैं। आज का जो समाज और सिस्टम है वो ये है कि अमीर, अमीर होता जा रहा है, और ग़रीब, ग़रीब होता जा रहा है। सरकारी लोग भी इस बात की कोई परवाह नहीं करते कि वो ग़ीरीबों के लिए कुछ ऐसा सोचें जिससे उनकी ग़रीबी दूर हो जाए। सरकार में रहने वाले लोग भी सिर्फ़ अपना ही भला सोचते हैं और अपने फ़ायदे के लिए ही सोचते हैं। इन सब बातों के बावजूद मैं सिर्फ़ यही सुझाव दूँगा कि किसी से भी अपनी परेशानी कहने से पहले हमें चाहिए कि हम अपना हर दुख, दर्द ख़ुदा से कहें और उसी ख़ुदा से ही उम्मीद लगाएँ। बंदो से कोई उम्मीद नहीं रखना चाहिए। हमें सिर्फ़ ख़ुदा से दुआ करना चाहिए। और इस विषय के बारे में हज़रत इमाम-ए-रज़ा अलैहिस्सलाम, हज़रत अली अलैहिस्सलाम एक रेवायत बयान करते हैं जो बहुत महत्वपूर्ण है, वो दुआ किताबों में पायी जाती है, हमें उसको पढ़ना चाहिए, और उसके माध्यम से ख़ुदा से दुआ करना चाहिए। और ये दुआ सहीफ़-ए-रज़वीया के पेज न0 419 पर बयान की गयी है।

हमारी दुआएँ जो ख़ुदा की बारगाह में क़बूल नहीं होती हैं उसका कारण दुनिया से मोहब्बत और हमारे गुनाह हैं।

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