الإمام الصادق علیه السلام : لو أدرکته لخدمته أیّام حیاتی.
बुद्धी की आज़ादी

बुद्धी की आज़ादी

जब इंसान अपने अंदर छिपी हुई शक्तियों को पहचान कर उसको प्राप्त कर ले और उसकी अक़्ल मोकम्मल हो जाए तो उसकी बुद्धी आज़ाद हो जाती है यह आज़ादी के महान प्रकारों में से एक है, जो कि ज़हूर के प्रकाशमय ज़माने में सबको प्राप्त होगी।

बुद्धी के शैतानी और मनोवेगी इछाओं से आज़ाद होने के बाद इंसान आसानी से अपनी बुद्धी की शक्तियों से लाभ उठा सकता है। हर इंसान की बुद्धी में कुछ शक्तियाँ काम करती हैं कि जो अक़्ल के हुकम की आज्ञा का पालन करती हैं।

अहलेबैत अलैहेमुस्सलाम ने इस बात को विस्तार से बयान किया है और यही वह महान लोग हैं कि जो इंसान के जीवन के हर पहलू को अच्छी तरह से जानते हैं।

हज़रत इमाम-ए-जाफ़रे सादिक़ अलैहिस्सलाम एक रेवायत में बुद्धी के सारे पहलूओं को बयान फ़रमाते हैं (और वह रेवायत बहुत लम्बी है जिस को हम यहाँ बयान नहीं करेंगे ।)(18)

इस रेवायत में बुद्धी की 70 महान विशेषता को बयान किया है और उसे एक फौज की तरह कहा है, उसी तरह जहल (अनपढ़ होने को) की भी 70 बुरी आदतों को बयान किया है।(19)

ग़ैबत के ज़माने में नफ़्स (मनोवेग) की बहुत बड़ी फ़ौज है और ज़्यादातर लोग नफ़्स के हाथों गिरफ्तार हैं। और उनका नफ़्स जो कुछ भी उनसे कहता है वह वही करते हैं मगर ज़हूर के पवित्र ज़माने में जब अक़्ल मोकम्मल हो जाएगी तो नफ़्स (मनोवेग) भी पवित्र हो जाएगा, फिर सिर्फ़ और सिर्फ़ अक़्ल की बात सुनेगा।

इंसानो में अक़्ल का मोकम्मल होना यानी अक़्ल की फ़ौज का पूर्ण होना है इसी कारण इंसानों में ज्ञान, शक्ति, और समझ-बूझ सब पूर्ण हो जाएँगी। और कमज़ोरी, जाहिलियत, की मौत और हार होगी ।

 


(18) उसूले काफ़ीः 1/20]

(19) उस रेवायत में जहल का अर्थ नफ़्स है ना कि अनपढ़ होना।

 

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