حضرت امام صادق علیہ السلام نے فرمایا : اگر میں ان(امام زمانہ علیہ السلام) کے زمانے کو درک کر لیتا تو اپنی حیات کے تمام ایّام ان کی خدمت میں بسر کرتا۔
इन्तेज़ार के अवामिल

इन्तेज़ार के अवामिल

हमारे लिए आवश्यक है कि हम कोशिश करें कि इन्तेज़ार का वास्तिवक अर्थ समझ सकें और इस हालत को अपने और दूसरों के अंदर पैदा कर सकें।

इन्तेज़ार को मसअले को समझने, सीखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने के बहुत से रास्ते हैं जिन को काम में लाते हुए हम समाज में इन्तेज़ार की हालत को पैदा कर सकते हैं और लोगों की रूह की गहराईयों में इन्तेज़ार को बीच को फ़लदार बना सकते हैं। नीचे बयान किए गए महत्व पूर्ण रास्तों के माध्यम से समाज इन्तेज़ार के मसअले को समझ और उसकी तरफ़ झुकाव पैदा कर सकता है।

  1. विलायत के महान मक़ाम को पहचानना और इमामे ज़माना की श्रेष्ठता की पहचान।
  2. इन्तेज़ार के रहस्यम प्रभावों और उसका सही अर्थ एवं महान पड़ावों की पहचान।
  3. इमाम ज़माना (अ) के सहाबियों की सिफ़तें और उनकी विशेषताओं की पहचान, जो इन्तेज़ार के सर्वश्रेष्ठ मरतबों तक पहुंचे और रूहानी ताक़त हासिल की और इमाम ज़माना (अ) के आदेशो का पालन करते हैं।
  4. इन्सान और अगले ज़माने में आने वाले लोगों के जीवन में बड़े बदलाव और उन महत्व पूर्ण तबदीलियों की पहचान जो ज़ूहूर के ज़माने में घटित होंगी।[1]

इमाम ज़माना (अ) के मर्तबे की पहचान, आप के चाहने वालों और साथियों की पहचान और अक़्लों की तकमील और इल्मों की तरक़्क़ी, ग़ैब की दुनिया से संबंध, अपरिचित उत्तपत्तियों की पहचान, आसमान और दूर दराज़ अंतरिक्ष की यात्रा और इसी प्रकार की दूसरी चीज़ें लोगों को इमाम ज़माना (अ) के ज़ूहूर की तरफ़ ध्यान दिलाती हैं। और लोगों के अंदर इन्तेज़ार की हालत और उनकी महान एवं रहस्यम हुकूमत के लिए तत्परता पैदा करती हैं

इस प्रकार की वास्तविक्ताओं की जानकारी, पवित्र अत्मा वाले लोगों के दिलों में एक जोश और उमंग पैदा करता है और उन महान दिनों के लिए उनके दिल में उमंग पैदा करती है, और इन्तेज़ार की हालत और ज़ोहूर की उम्मीद (जो कि हर इन्सान का दायित्व है) समाज में पैदा करती है, अब हम इन चीज़ों का विवरण बयान करेंगे।

 


[1] इन रास्तों के अतिरिक्त दूसरे रास्ते भी पाए जाते हैं जो इन्सान को इन्तेज़ार की तरफ़ बुलाते हैं, उनमें से कुछ की वज़ाहत हम ने असरारे मोवफ़्फ़ेक़ीयत नामक किताब में की है, जैसे एख़लास (निःस्वार्था) मआरिफ़ की पहचान, अहले बैत से मोहब्बत, ख़ुद साज़ी आदि।

 

 

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