امام صادق عليه السلام : جيڪڏهن مان هن کي ڏسان ته (امام مهدي عليه السلام) ان جي پوري زندگي خدمت ڪيان هان.
क्या इमाम-ए-ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ के 313 सहाबियों में सब एक रुतबे पर फ़ायज़ होंगे ?

क्या इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ के 313 सहाबियों में सब एक रुतबे पर फ़ायज़ होंगे ?

सवालः क्या इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ के 313 सहाबियों में सब एक रुतबे पर फ़ायज़ होंगे ? और क्या सब का दर्जा एक होगा ? या मानवी दर्जों के हिसाब से उनमें फ़रक होगा ?

जवाबः रेवायत में इस बात को विस्तार से बयान किया गया है कि इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ के सहाबियों में मानवी हिसाब से फ़रक होगा। इस लिए हम यहाँ पर उन सारी रेवायतों को बयान करेंगे जिसमें इस बात को वाज़ेह किया गया है।

रेवायात में इस बात को बयान किया गया है कि इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ की आवाज़ आने से पहले 45 लोग मक्के में ख़ान-ए-काबा के नज़दीक पहुँच चुके होंगे, बहुत से नेक लोग ऐसे भी होंगे जो ज़हूर से एक रात पहले ही ख़ुदा की मदद से ख़ान-ए-काबा तक पहुँच जाएंगे और इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ के ज़हूर का इंतेज़ार करेंगे और जब इमाम ज़हूर करेंगे तो वो लोग इमाम की मदद करेंगे, कुछ ऐसे लोग भी होंगे जो बादलों पर सवार हो कर इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ की बारगाह में पहुँच जाएंगे। वो लोग कि जो बादलों पर सवार हो कर इमाम की बारगाह में पहुँचेगे उनका मक़ाम और रुतबा उन लोगों से ज़यादा होगा जो ज़मीनी रास्ते से इमाम की बारगाह में पहुँचेगें। इसलिए ये बात कही जा सकती है कि इमाम के 313 जो फौजी होंगे उनका रुतबा एक नहीं होगा बल्कि कुछ ऐसे भी होंगे जिनका रुतबा एक दूसरे से बुलंद होगा। इस बारे में बहुत सी रेवायात पायी जाती हैं जिनको हम यहाँ बयान नहीं करेंगे।।

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