ઈમામ સાદિક઼ (અ.સ.) એ ફરમાવ્યુઃ અગર હું એમના જમાનામાં હોઉં તો મારી જીન્દગીનીના તમામ દિવષો એમની સેવા કરીશ.
ख़ुदा का संदेश

ख़ुदा का संदेश

अहलेबैत अलैहेमुस्सलाम ने रेवायात में, जहाँ ग़ैबत के ज़माने कि कठिनायों को बयान किया है, वहीं ज़हूर के बा बरकत ज़माने को भी बयान किया है। और उस ज़माने के लोगों को सौभाग्य वाले कहा है।  

हज़रत इमाम-ए-जाफ़रे सादिक़ अलैहिस्सलाम, ने इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ के बारे में इरशाद फ़रमाया हैः

ھو المفرّج للکرب عن شیعتہ بعد ضنک شدید و بلاء طویل و جور، فطوبی لمن أدرک ذلک الزمان

वह अपने शीयों से हर तरह की कठिनायों को दूर करेंगे और यह सब एक लम्बे समय के बाद होगा और उस ज़माने के लोग सौभाग्य वालें होंगे।(12)

जी हाँ ! सौभाग्य वाले हैं वह लोग जो उस ज़माने को देखेंगे। उस दिन दुनिया को बनाने का लक्ष्य पूरा हो जाएगा। वह बुद्धी पूर्णता का ज़माना होगा और हर तरफ़ नूर ही नूर होगा। उस ज़माने में लोग सच्चे और पवित्र दिल से ख़ुदा की इबादत करेंगे। नफ़्स (मनोवेग) पर क़ाबू होगा और शैतान की प्राजय होगी।

ख़ुदा वन्दे आलम क़ुर्आन में फ़रमाता हैः

وما خلقت الجن والانس الا لیعبدون

मैंने जिन्नातों और इंसानों को सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी इबादत के लिए पैदा किया है।(13)

इस आधार पर सदियाँ बीत जाने के बाद इल्म व मारफ़त से भरा हुआ दिन आएगा जब इंसान के पैदा करने का लक्ष्य पूरा हो जाएगा। उस ज़माने में सब के सब उन्नति और प्रगति के रास्ते पर चल रहें होंगे और इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ की शरण में सब को एक नया जीवन मिलेगा और इसांन शैतान के चंगुल से मुक्ति पा जाएगा।


(12) कमालुद्दीनः 647

(13) सूरए ज़ारेयात, आयत न0. 56

 

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