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अमरे अज़ीम (कार्य विशेष) क्या है ?

अमरे अज़ीम (कार्य विशेष) क्या है ?

अब यह सवाल पैदा होता है कि इस रेवायत में बयान होने वाले अमरे अज़ीम वही अमरे जदीद हैं और क्या दोनो का अर्थ एक ही है ?

अगर दोनों का अर्थ एक ही है तो फिर वह अमरे अज़ीम और अमरे जदीद क्या है कि जिसके लिए इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ ज़हूर के बाद उसको लोगों तक पहुँचाने का प्रयास करेंगे ?

ज़हूर के रहस्य को समझने वाले ही इसका उत्तर जानते हैं। अहलेबैत अलैहेमुस्सलाम की रेवायात में कभी इशारे से तो कभी साफ़-साफ़ इस बात को बयान किया गया है। जिसके अर्थ को कुछ ख़ास लोग ही जानते हैं कि जो अहलेबैत अलैहेमुस्सलाम की बातों में छुपे हुए रहस्य को समझते हैं।

हज़रत इमाम-ए-जाफ़रे सादिक़ अलैहिस्सलाम एक रेवायत में इरशाद फ़रमाते हैं :

حدیث تدریہ خیر من الف ترویہ، ولا یکون الرجل منکم فقیھاً حتی یعرف معاریض کلامنا، و ان الکلمۃ من کلامنا لتنصرف علی سبعین وجھاً لنا من جمیعھا المخرج

एक रेवायत के अर्थ को समझना हज़ार रेवायात को बयान करने से बेहतर है। तुम में कोई व्यक्ति भी फ़क़ीह नहीं हो सकता कि जब तक वह हमारे अक़वाल में इशारा ना समझ ले। यक़ीनन हमारी बातों के एक-एक शब्द से 70, 70 अर्थ निकलते हैं।(9)

अहलेबैत अलैहेमुस्सलाम की नज़र में वह लोग फ़क़ीह हैं कि जो अहलेबैत अलैहेमुस्सलाम के बातों को समझने की क्षमता रखते हैं अतः फ़क़ीह वही है कि जो अहलेबैत अलैहेमुस्सलाम की बातों में छिपे हुए इशारे को समझ ले।

अमरे अज़ीम को बयान करने से पहले इस बात पर ध्यान दे :

ख़ुश नसीब हैं वह लोग जो इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ की आवाज़ सुन कर लब्बैक (हम हाज़िर हैं) कहेंगे और उस इमाम के हुक्म का पालन करेंगे।

ख़ुश नसीब हैं वह लोग जिनको ज़हूर का बा बरकत ज़माना नसीब होगा।

जो दीन में हर तरह की खुराफ़ात से दूर हो जाएँगे और इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ की शरण में रहेंगे और उनके न्यायिक राज्य के गवाह होंगे।

उस ज़माने के लोग इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ के राज्य में नया जीवन पाएँगे और प्रगति के रास्ते पर चलेंगे और फिर वह लोग अमरे अज़ीम के रहस्य को जान लेंगे।

इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ के जीवन दाता छाया से उस ज़माने के लोगों की अक़्लें मोकम्मल हो जाएँगी। वह लोगों के दिलों को नया जीवन प्रदान करेंगे जिस के माध्यम से वह आलमे मलकूत (वह दुनिया जहाँ फ़िरशते रहते हैं।) का नज़ारा करेंगे।

अब हम अमरे अज़ीम के बारे में पैदा होने वाले प्रश्न का उत्तर देंगे कि अमरे अज़ीम अहलेबैत अलैहेमुस्सलाम की वेलायत के सिलसिले में एक महत्वपूर्ण नुकता (पोवाइंट्स) है। ज़हूर के ज़माने में अमरे अज़ीम भी आएगा।

लोगों की अक़्लें सीमित हैं और वह ग़ैबत के रहस्य को नहीं समझ सकते, जब इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ का ज़हूर होगा उस समय इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ के माध्यम से लोगों की अक़्लें मोकम्मल हो जाएँगी और वो लोग आध्यात्मिक बातों को आसानी से समझ लेंगे । इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ मआरिफ़ के महान नुकात को बयान करेंगे और इस बात की गवाही क़ुर्आन भी देगा।

इसी बात की रेवायत जनाब मोहम्मद इबने अम्र इब्ने हसन ने की हैः

ان أمر آل محمد علیھم السلام امر جسیم مقنع لا یستطاع ذکر و لو قد قام قائمنا لتکلم بہ و صدّقہ القرآن

अमरे अहलेबैत अलैहेमुस्सलाम, एक ऐसा अम्र है कि जो पर्दे में छिपा हुआ है और जिस को उजागर करना सम्भव नहीं है और जब हमारा क़ायम (यानी इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ) ज़हूर करेंगे वह उसे बयान करेंगे और क़ुर्आन उसकी गवाही देगा।(10)

इस बात से साफ़ होता है कि वेलायत के महान कार्य को ग़ैबत के ज़माने में आम लोग नहीं समझ सकते हैं और उनके लिए बयान करना सम्भव नहीं है। मगर जब अक़ले मोकम्मल हो जाएँगी तो उस समय ईश्वर, इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ को ज़ाहिर करेगा और इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ के आने से पूरा सही इस्लाम लोगों के सामने आ जाएगा और किसी को भी कोई शक नहीं रह जाएगा ।

जनाब मोहम्मद इबने अम्र इब्ने हसन ने यूँ बयान फ़रमाया हैः

اذا أذن اللہ  لنا فی القول ظھر الحق،واضمحلّ الباطل، وانحسر عنکم

जब ख़ुदा मुझे बोलने की आज्ञा देगा तो सत्य (हक़) ज़ाहिर हो जाएगा, बातिल नीस्तो नाबूद हो जाएगा और तुम लोगों के लिए हक़ व बातिल बिल्कुल साफ़ हो जाएगा।(11)


(9) बेहारुल अनवारः 2/184

(10) बसाएरुद्दरजातः 28. बेहारुल अनवारः 2/196

(11) अलग़ैबाः शैख़ तूसी रहमतुल्लाह अलैहः 176

 

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