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इमाम-ए-ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ का संदेश सबके लिए

इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ का संदेश सबके लिए

इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ के महत्वपूर्ण उद्देश में से यह है कि वह सारे इंसानों को इस्लाम की दावत देंगे। उस समय दुनिया में हर धर्म वालों को इस्लाम की तरफ़ दावत दी जाएगी, और सबसे कहा जाएगा कि वह बातिल को छोड़ दें और ख़ुदा के दीन यानी ईस्लाम को स्वीकार करें, जब यह संदेश लोगों को दिया जाएगा तो इस समय कुछ ऐसे वाक़ेआत सामने आएँगे कि जिससे पूरी दुनिया वालों को सुकून मिलेगा। और उस बीच ऐसे वाक़ेआत होंगे कि जो लोंगो के दिलों में जगह बना लेगा और लोग सामुहिक रूप से इस्लाम धर्म को स्वीकार कर लेंगे।

ख़ुदा वन्दे आलम कुर्आन में इरशाद फ़रमाता हैः

اذا جاء نصر اللہ والفتح، و رأیت الناس یدخلون فی دین اللہ افواجاً 

जब ख़ुदा की सहायता आजाएगी तो आप देखेंगे कि लोग ख़ुदा के धर्म में गिरोह गिरोह दाखिल होंगे।(3)

इस आधार पर उस ज़माने में लोग गिरोह गिरोह इस्लाम को स्वीकार करेंगे।

दुनिया वालों का इस्लाम के प्रति प्रेम इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ के संदेश के बाद होगा। ये सब कुछ, कुछ वाक़ेआत के होने के बाद होगा कि जिसे वह लोग ज़हूर के आरम्भ में ही देखेंगे। जिससे कि लोगों में हक़ीक़त ज़ाहिर हो जाएगी और लोग गिरोह गिरोह ख़ुदा के दीन को स्वीकार करेंगे।

हज़रत इमाम-ए-जाफ़रे सादिक़ अलेहिस्सलाम फ़रमाते हैं :

اذا قام القائم علیہ السلام دعا الناس الیٰ الاسلام جدیداً و ھداھم الی أمر قد دثر وضل عنہ الجمھور انما سمی القائم مھدیاً، لأنہ یھدی الی أمر مضلول عنہ و سمی القائم لقیامہ بالحق

जब भी हमारा क़ायम ज़हूर करेगा, लोगों को दोबारा इस्लाम की दावत देगा, और उनको उन चीज़ों की तरफ़ हेदायत करेगा कि जो पुराना है और जिसे छोड़ कर अक्सर लोग गुमराह हो चुके हैं, इसीलिए क़ायम का नाम मेहदी होगा क्योंकि वह पुराने दीने इस्लाम की तरफ़ दावत देंगे और क़ायम नाम इसलिए है क्योंकि वह हक़ के लिए क़याम करेगा।(4)

इस रेवायत से यह पता चलता है कि इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ ज़हूर के बाद लोगों को दोबारा इस्लाम की तरफ़ दावत देंगे और उन्हें गुमराही से बचाएँगे और उनकी हेदायत करेंगे उस चीज़ की तरफ़ जिससे लोग गुमराह हो चुके होंगे। इस रेवायत में कत्ल को बयान नहीं किया गया है। इंसानो को इस्लाम की तरफ़ दावत के लिए दलील की आवश्यकता है। रेवायत के अनुसार यह वही प्रोग्राम है जिसे इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ अंजाम देंगे।

दलील का नतीजा यह होगा कि लोग इस्लाम पर विश्वास करते हुए उसको स्वीकार करेंगे और हेदायत के रास्ते पर चलने लगेंगे। उस समय क़ुर्आन लोगों के दिलों में समा जाएगा और इस्लाम को एक नया जीवन मिलेगा।

हज़रत ईमाम-ए-हसन अलैहिस्सलाम की ज़ियारत में आया है कीः

السلام علیک یا ابا الامام المنتظر، الظاھرۃ للعاقل حجتہ، والثابتۃ فی الیقین معرفتہ، والمحتجب عن اعین الظالمین، والمغیب عن دولۃ الفاسقین، والمعید ربنا بہ الاسلام جدیداً بعد الانطماس والقرآن غضاً بعد الاندراس

ऐ इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ के पिता आप पर सलाम हो कि बुद्धिमानों के लिए उनकी दलील साफ़ साफ़ है और उनकी मारेफ़त, विश्वास के ख़ज़ाने में भरी है। ज़ालिमों की आँखों पर उनकी ग़ैबत का पर्दा पड़ा हुआ है और वह फ़ासिक़ों की आँखों से छुपे हुए हैं। ख़ुदा इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ के माध्यम से इस्लाम और कुर्आन को नया जीवन देगा।(5)

शब्दकोष में “ इंतेमास ” का अर्थ नाबूद होने के अर्थ में है। इस रेवायत में हज़रत इमाम-ए-हसन असकरी अलैहिस्सलाम ने दोनों अर्थ मुराद लिया है। ग़ैबत के ज़माने में इस्लाम में जो परिवर्तन हुआ होगा उसे इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ फिर से सही इस्लाम लोगों के सामने पेश करेंगे और इस्लाम अपनी असली हालत पर पलट जाएगा। अगरचे बहुत से ऐसे मुल्क हैं कि जो इस्लामी राज्य के नाम से तो प्रसिद्ध हैं लेकिन उनके यहाँ धर्म का पालन नाम का भी नहीं हैं। अगरचे वह लोग मुस्लमान हैं मगर सिर्फ़ नाम के।


(3) सूरए नस्र, आयत न0. 1 व 2

(4)  बेहारुल अनवारः 51/30. अलइरशादः 344. आलामुल वराः 461. नवादेरुल अख़बारः272

(5) मिस्बाहुज़्जाएरः 410. बेहारुल अनवारः 102/67. सहीफ़ए मेहदीयाः 614

 

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