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3 इमाम-ए-ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ और बुद्धी पूर्णता (अक़ली तकामुल)

इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ और बुद्धी पूर्णता (अक़ली तकामुल)

 

कौन इंसान के वजूद में परिवर्तन कर सकता है ?

किस में यह शक्ति है कि वह इंसान के अंदर और उसके दिमाग़ में छिपी हुई शक्तियों को उजागर करे तकि सब के सब ख़ुदा के हुक्म का पालन करें और तमाम अख़लाक़ी फ़जीलतों को हासिल करलें ?

क्या इस दुनिया की इस्लाह करने वाले मुस्लेह के अलावा यह काम कोई और कर सकता है ?

इस सिलसिले में इमाम-ए-मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम की रेवायत में दुनिया की प्रगति के रहस्य से परदा उठाया गया है और फ़रमाया है कि यह उन्नति और प्रगति इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ के माध्यस से होगी और आप ने फ़रमाया :

اذا قام قائمنا وضع یدہ علی رؤوس العباد، فجمع بہ عقولھم واکمل بہ اخلاقھم

जब हमारा क़ायम (यानी इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ)ज़हूर करेंगे तो वह तमाम लोगों के सरों पर अपना हाथ रखेंगे इस प्रकार से इंसानों की बुद्धी पूर्ण हो जाएगी और उसके अख़लाक भी पूर्ण हो जाएँगे।(1)

इस रेवायत में कुछ पवित्र नोकात (पोवाइंटस) मौजूद हैं क्योंकि यह बिल्कुल साफ है कि कोई भी खानदाने अहलेबैत अलैहेमुस्सलाम के फ़रामीन (फ़रमान की जमा) से मोकम्मल तौर से आगाह नहीं हो सकता।

हज़रत इमाम-ए-जाफ़रे सादिक़ अलेहिस्सलाम से ज़ैदे ज़र्राद ने एक रेवायत बयान की है कि जिसमें मआरिफ़े अहलेबैत अलैहेमुस्सलाम के महत्वपूर्ण नोकात की तरफ़ ईशारा है।

قلت لابی عبداللہ : نخشی أن لا نکون مومنین ۔

قال : ولم ذاک ؟ فقلت و ذلک انا لا نجد فینا من یکون اخوہ عندہ آثر من درھمہ و دینارہ، و نجد الدینار و الدرھم آثر عندنا من اخ قد جمع بیننا و بینہ موالاۃ امیرالمومنین علیہ السلام

قال کلا انکم مؤمنون ، ولکن لا تکلمون ایمانکم حتی یخرج قائمنا، فعندنا یجمع اللہ احلامکم ، فتکونون مومنین کاملین و لو لم یکن فی الارض مؤمنون کاملون، اذاً لرفعنا اللہ الیہ و أنکرتم الأرض و أنکرتم السماء .

मैंने हज़रत इमाम-ए-जाफ़रे सादिक़ अलेहिस्सलाम से पूछा:

हम डरते हैं कि कहीं ऐसा तो नहीं कि हम मोमिन नहीं हैं ?

हज़रत इमाम-ए-जाफ़रे सादिक़ अलेहिस्सलाम ने पूछा किस लिए डरते हो ?

मैंने कहाः क्योंकि हम में ऐसा कोई नहीं है जिसके नाज़दीक उसका भाई रुपयों और पैसों से ज़्यादा प्यारा हो, हम रुपयों और पैसों को अपने भाईयों से ज़्यादा प्यार करते हैं, ऐसा भाई की जो हज़रत अली अलैहिस्सलाम से मोहब्बत करने वाला है ।

हज़रत इमाम-ए-जाफ़रे सादिक़ अलेहिस्सलाम ने फ़रमायाः तुम लोग अवश्य मोमिन हो, लेकिन तुम लोग अपने ईमान को पूर्ण नहीं करते कि जब हमारा क़ायम ज़हूर करेगा तो उस समय ईश्वर तुम्हारी बुद्धी को पूर्ण करेगा। अतः मोमिन पूर्ण हो जाएँगे, और अगर धरती पर कामिल मोमिन नहीं हुए तो ईश्वर हमें तुम्हारे बीच से उठा लेगा और तुम ज़मीन व आसमान का इन्कार कर दोगे।(2)

इस रेवायत से बहुत से नोकात (पोवइंटस) प्राप्त होते हैं।

1. जब तक इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ का ज़हूर नही होगा उस समय तक मोमिनों का ईमान मोकम्मल नहीं होगा।

2. हम अपने धार्मिक भाईयों से ज़्यादा रूपयों और पैसों से प्यार करते हैं।

3. इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ के समय में बुद्धियाँ पूर्ण हो जाँएगी।

4. बुद्धियों के पूर्ण होने का अर्थ यह है कि ईमान भी कामिल हो जाएगा।

5. ज़हूर से पहले कामिल ईमान वाले लोग बहुत कम होंगे।

6. अगर अहलेबैत अलैहेमुस्सलाम धरती पर ना हों तो लोगों में इतना भी ईमान ना रहता (जितना कि लोगों में आज है।)

7. धरती पर इंसानों का वजूद अहलेबैत अलैहेमुस्सलाम के कारण है।

8. इस रेवायत से एक दूसारा नुक्ता भी प्राप्त होता है कि ज़हूर के पवित्र ज़माने में बुद्धियों के पूर्ण होने के कारण लोगों में सहृदयता (ख़ुलूस) जन्म लेगी और वह लोग ईमान को रुपयों और पैसों पर प्राथमिकता देंगे, और एक दूसरे से ऐसा व्यवहार करेंगे कि जैसे वह माल व दौलत में उनके सहयोगी हैं।

 


(1)बेहारुल अनवारः 52/336

(2) बेहारुल अनवारः 67/350

 

 

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