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इंसान के अंदर परिवर्तन आवश्यक है

इंसान के अंदर परिवर्तन आवश्यक है

इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ अपने राज्य के दौरान दुनिया और दुनिया वालों को आरामदेह जीवन देने के लिए अपनी ग़ैर मामूली शक्ति और अपनी वेलायत की शक्ति से फ़ायदा उठायेंगे, दुनिया में परिवर्तन और दुनिया वालों में बुद्धी पूर्णता पैदा करेंगे।

इंसान किस तरह से अपनी ख़िलक़त (पैदाइश) के रहस्य को और वेलायत के महान रहस्य को समझ सकता है जबकि उसके दिमाग़ की शक्तियाँ अभी तक उजागर नहीं हो सकी हैं। और अब भी सोच विचार के सागर में डूबा हुआ है।

इसी कारण इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ लोगों को ख़ुदा का संदेश और मआरिफ़ देने से पहले इंसान के अंदर परिवर्तन लाएँगे और उसकी बुद्धी को उन्नति अता करेंगे।

उस समय की प्रगति और दीन को समझने के लिए इसांन के अंदर यह परिवर्तन अवश्यक है और इसके बिना इंसान इल्म और दीन की गुत्थियों को समझ ही नहीं सकता।

अहलेबैत अलैहेमुस्सलाम के महान मआरिफ़ को समझने और इंसान की शक्तियों और युग्यताओ को बढ़ाने के लिए यह परिवर्तन बहुत ही आवश्यक है अतः उनके अंदर यह परिवर्तन होना ही चाहिए और जब दुनिया वालों में परिवर्तन होगा तो दुनिया में भी अवश्य होगा।

जिस तरह काम और नौकरी के लिए एक बच्चे का बड़ा होना ज़रूरी है उसी तरह इस संसार के रहस्य को समझने के लिए उसमें परिवर्तन ज़रूरी है।

क्या बचपन में इंसान इस संसार के रहस्य को समझ सकता था जब कि उस को रास्ते और कुँए में भी कोई फ़र्क़ नहीं लगता था ?

बचपन में इंसान को अपनी उंगली के बारे में भी पता नहीं था वह इंसान अंतरिक्ष के रहस्य को कैसे समझ सकता है ?

यह बात बिल्कुल साफ़ है कि इन रहस्यों को समझने के लिए उसकी अक़ल में प्रगति का होना ज़रूरी है ताकि उन रहस्यों को समझ सके और फिर उसको इन रहस्यों का ज्ञान दिया जाए।

इसीलिए इंसानों को ऐसे रहस्यों को समझने के लिए उनके दिमाग़ के सेल्स का काम करना बहुत ज़रूरी है ताकि इंसान में बुद्धी पूर्ण हो और वह इन रहस्यों को समझने की योग्यता पैदा कर सके।

 

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