امام صادق علیه السلام : اگر من زمان او (حضرت مهدی علیه السلام ) را درک کنم ، در تمام زندگی و حیاتم به او خدمت می کنم.
वो नूरानी बादल कैसे होंगे ?

वो नूरानी बादल कैसे होंगे ?

जवाबः ये बादल ख़ुदा की क़ुदरत और निशानियों में से एक हैं जिनके बारे में हम भी नहीं जानते कि कैसे होंगे, वो एक राज़ है जिसको ख़ुदा जानता है और अहलेबैत अलैहेमुस्सलाम, हम बस इतना जानते हैं की उनको ख़ुदा ने पैदा किया है और उनकी हक़ीक़त को सिर्फ़ ख़ुदा ही जानता है। लेकिन रेवायात में ये बात बयान हुई है कि ऐसे ताक़तवर बादल पाए जाते हैं जो नूरी हैं और एक राज़ हैं जिनकी हक़ीकत को हम जैसे आम इंसान नहीं जानते हैं।

इन सारी बातों के अलावा दुनिया वाले इस बात को तो मानते ही हैं कि दुनिया में कुछ ऐसी ताक़तें पायी जाती हैं जिनको हम देख नहीं सकते हैं मगर उनका असर होता है जो कि हमारी पहुँच से बाहर हैं, मिसाल के तौर पर हम यहाँ पहले विश्व-युद्ध की एक घटना बयान करेंगे।

पहले विश्व-युद्ध में जब ब्रिटिश और उसके सहायक देशों ने दूसरे देशों में अपने फ़ौजियों की सहायता से क़दम जमा लिया तो ब्रिटिश फ़ौज की एक टुकड़ी तुर्की में प्रवेश हुई और तुर्की के एक भाग को अपने क़बज़े में ले लिया, तुर्की पर क़ब्ज़ा करने के बाद वो लोग ईरान पर हमला करने का प्लान बनाने लगे, ब्रिटिश की फ़ौज जो, तोप, टैंक, और दूसरे असलहों से लैस थी ये प्लान बनाया कि रात के समय पहाड़ के रास्ते से ईरान पर हमला करेंगे और सुबह होते ही ईरान पर उनका क़ब्ज़ा हो जाएगा। लेकिन उसी रात ना जाने वो कौन सी ताक़त थी जिसके कारण ब्रिटिश की फ़ौज नीस्तो नाबूद हो गयी, ना जंग की ज़रूरत पड़ी और ना एक बूंद ख़ून बहा। किताबों में मिलता है कि एक नूरानी बादल का टुकड़ा रात में प्रकट हुआ और देखते ही देखते उसने ब्रिटिश की पूरी फौज, उनके टैंक और तोप को अपनी गिरफ़त में ले लिया और सब के सब बर्बाद हो गए । जब लोगों ने सुबह में देखा तो ब्रिटिश फौज का नामो-निशान वहाँ पर नहीं था। ये देखकर पूरी दुनिया को इस बात का यक़ीन हो गया कि कोई ख़ुदाई ताक़त है, और जिसके कब्ज़े में सब कुछ है।

नूरी बादलों से ब्रिटिश की फ़ौज बर्बाद हो गयी

जैसा कि हम ने बयान किया कि ब्रिटिश की पूरी फौज एक बादल के टुकड़े के कारण तबाह हो गयी और तुर्की की फ़ौज ने भी इस बात का बयान किया था कि हमारी उनसे कोई जंग हुई ही नहीं और जब हम ने सुबह में देखा तो वो सब तबाह और बर्बाद हो चुके थे और इस बात ने पूरी दुनिया के लोगों के आश्चर्यचकित कर दिया, जिन लोगों ने इस घटना को देखा वो बयान करते हैं किः

ये 1915 की बात है उस दिन आसमान साफ़ था और बादलों का कोई नामो-निशान नहीं था। सिर्फ़ 6 से 8 के बीच सुबह में कहीं-कहीं, मगर छोटे-छोटे बादलों के टुकड़े आसमान पर दिखाई दे रहे थे। हवा भी उस दिन बहुत धीमी गति से चल रही थी, मगर आचानक आसमान में एक बड़े बादल का टुकड़ा जो कम से कम एक किलो मी0 लम्बा और चौड़ा रहा होगा प्रकट हुआ और देखते ही देखते हर तरफ़ फैल गया और वो जगह कि जहाँ ब्रिटिश की फ़ौज थी उसको अपने क़ब्ज़े में ले लिया और जब बादल छटे तो लोगों ने देखा कि ब्रिटिश की फ़ौज का नामो-निशान नहीं था।

और जब 1918 में ब्रिटिश ने तुर्की से अपने फ़ौजियों की माँग की तो तुर्की ने उसको यही जवाब दिया कि हमने उनको जंग करके नहीं पकड़ा है बलकि तुम लोगों ने घुसपैठ की थी और बादल की तबाही से जो बच गए थे हमने उनको बंदी बनाया था। इस घटना से ये बात तो साफ़ है कि कोई खुदाई ताक़त है जो सबको अपने क़ब्ज़े में लिए हुए है।

इसलिए शैतान के फ़ौजियों को जब तक इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ का ज़हूर नहीं होता, ये उनके लिए मोहलत है कि वो जो चाहें करें, शैतानियों ने ये सोच रखा है कि ख़ुदा के हाथ बंधे हुए हैं और ख़ुदा कुछ नहीं कर सकता जब कि शैतान के पुजारियों और उसके चमचों को ये बात याद रखना चाहिए कि ये मोहलत वास्तव में उनकी तबाही है और एक दिन उनका नामो-निशान बाक़ी नहीं रह जाएगा। शैतान के पुजारी ये सोचते हैं कि ख़ुदा की कोई हुज्जत इस धरती पर बाक़ी नहीं है जबकी हमारे इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ आज भी सारी दुनिया पर ख़ुदा की हुज्जत हैं।

वो बातें जो हमने नूरी बादलों के बारे में बयान की हैं वो एक ख़ुदाई इंतेज़ाम है, जिसको विस्तार से बयान करने के लिए हम बयान करेंगें कि हमने अब तक जो बातें, और जंग में होने वाली घटनाओं को यहाँ बयान किया वो सब इस बात की दलील हैं कि इस कायनात में नूरी बादलों का बहुत महत्वपूर्ण रोल है और आने वाले ज़माने में भी रहेगा।

जब से इस्लाम इस धरती पर आया, उस समय से लेकर जगें बदर तक, और जंगे बदर से ले कर पहले विश्व-युद्ध तक, और पहले विश्व-युद्ध से लेकर इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ के ज़हूर तक नूरी बादलों ने जो कि एक ख़ुदाई ताक़त हैं हर ज़माने में अपनी ज़िम्मेदारियों को निभाया है और आगे भी निभाते रहेंगे।

हम यहाँ पर एक वाक़ेआ बयान करेंगे जो सब लोगों के लिए बहुत ही आनन्ददायक होगा और आश्चर्यजनक होगा। और ये वाक़ेआ इस बात की भी दलील होगा कि नूरी बादल सिर्फ़ एक इंसान को नहीं बल्कि पूरी फ़ौज को असलहे समेत उठा सकता है।

अल्लामा मजलिसी अपनी किताब बेहारुल अनवार में जंगे बदर के बारे में इस रेवायत को बयान करते हैं किः

इबने अब्बास बयान करते हैं किः बनी ग़फ़्फ़ार के क़बीले का एक मर्द बयान करता हैः मैं और मेरे चचा का लड़का यानी मेरा भाई बदर के पहाड़ पर पहुँचे, उस समय हम दोनो मुशरिक थे, हम दोनो ये देखने के लिए गए थे कि कौन सी फ़ौज जीतेगी और कौन सी मैदान छोड़ कर भागेगी। जब हम पहाड़ पर थे तो हमने एक बादल का टुकड़ा देखा जो हमारे क़रीब से होते हुए हमारे सर से गुज़र गया, हम ने घोड़ों के हिनहिनाने की आवाज़ सुनी और जैसे कोई कह रहा होः हीज़ूम (जिबरईल के घोड़े का नाम) आगे बढ़ो ।।

मेरे भाई को ये देख कर और सुन कर हॉर्ट अटैक आ गया, मैं भी मरने वाला था मगर नहीं मरा।[1]

ये वाक़ेआ इस बात को बयान करता है कि जंगे बदर में बादलों पर सवार फ़ौज थी जो एक ख़ुदाई ताक़त थी और मुसलमानों की मदद के लिए आयी थी। बादलों पर सवार ख़ुदा के फ़रिश्ते आए थे मुसलमानों की सहायता के लिए। और ये गिरोह उस समय भी शीयों की सहायता के लिए आसमान से आएगा जब इमाम--ज़माना अज्जलल्लाहु फरजहुश्शरीफ ज़हूर करेंगे। लेकिन आज का माद्दी समाज (भौतिकी समाज) शायद इस बात को स्वीकार ना करे कि किस तरह बादल लोगों की सहायत करेगा और उनको मक्के तक पहुँचाएगा मगर यह सत्य है और होकर रहेगा। वो बादल कि जो भाप से बनें हैं उनमें और जो नूरी हैं उनमें बहुत फ़रक है। हम कामना करते हैं कि सब उस नूरानी दिन को अपनी आँखों से देख सकें जिस दिन पूरी दुनिया अद्ल व इंसाफ़ से भरी हुई होगी।



[1] . बेहारुल अनवारः19/226

 

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